बीते महीनों में जिस तरह से IAS अधिकारियों ने इस्तीफे दिए हैं, उसे देखते हुए सरकार के भीतर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नौकरशाहों के त्यागपत्र को देखते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार अब इस विषय में कड़े कदम उठाने जा रही है. माना जा रहा है कि इस्तीफे को लेकर नियम अब व कड़े किए जा सकते हैं. ‘द प्रिंट’ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि डिपार्टमेंट ऑफ व्यक्तिगत एंड ट्रेनिंग (DoPT) इस मुद्दे में आगामी हफ्ते में एक मीटिंग करने वाली है, जिसमें अधिकारियों के इस्तीफे व उनकी समस्याओं को लेकर विमर्श किया जाएगा.
वर्तमान नियम के मुताबिक यदि कोई नौकरशाह त्याग पत्र देता है तो सरकार द्वारा उसकी विदेशों में ट्रेनिंग पर हुए खर्च को चुकता करना होता है. इसके अतिरिक्त यदि ऑफिसर प्रोबेशन पीरियड के दौरान भी सर्विस छोड़ता है तो खर्च का वहन उससे आपेक्षित होता है. वैसे अगर देखा जाए तो हिंदुस्तान में IAS, IPS व IFS की रिक्त संख्या बहुत ज्यादा बड़े पैमाने पर है.
फिर भी सरकार नियम-कायदों को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने की सोच रही है. बताते चलें कि हिंदुस्तान सरकार नौकरशाहों की ट्रेनिंग पर बहुत ज्यादा ज्यादा पैसे खर्च करती है व यदि वे सर्विस से त्याग पत्र देते हैं तो यह सरकार के लिए घाटा है.
गौरतलब है कि पिछले 3 महीनों में 4 आईएएस अधिकारियों ने त्याग पत्र दे दिया. पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने जुलाई में वित्त मंत्रालय से ट्रांसफर किए जाने के बाद त्याग पत्र दे दिया था.
वहीं, अगस्त महीने में अरुणाचल, गोवा, मिजोरम व केंद्रशासित प्रदेश कैडर के ऑफिसर जी कन्नन ने भी जम्मू और कश्मीर के वर्तमान दशा को लेकर विरोध-स्वरूप त्याग पत्र दे दिया. उनके बाद कर्नाटक कैडर के भी एक ऑफिसर ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए सर्विस से रिजाइन कर दिया.
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