केंद्र की मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर बड़ा फैसला ले सकती है। मोदी सरकार संसद के आगामी सत्र में यूसीसी बिल पेश कर सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार यूसीसी बिल को मानसून सत्र में पेश कर सकती है।
यूसीसी को लेकर तीन जुलाई को संसदीय स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई है। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि बैठक में सभी हितधारकों के विचारों को सुना जाएगा। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने सभी 31 सांसदों और समिति के सदस्यों को सूचित किया है कि इस बैठक में समान नागरिक संहिता पर हितधारकों के सुझाव मांगे जाएंगे और उन पर विचार किया जाएगा। सोमवार को होने वाली बैठक दोपहर तीन बजे शुरू होगी।
इसके साथ ही 14 जून को भारत के विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आम जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से भी उनकी राय और विचार मांगे हैं।
समान नागरिक संहिता का मतलब देश में रहने वाले सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। इसके तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों और समुदायों के लोगों लिए एक ही कानून लागू किया जाना है। समें संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।
हाल ही में भोपाल में एक जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने यूसीसी का जिक्र किया था। पीएम ने विरोधी दलों पर हमला बोलते हुए कहा था कि विपक्ष सियासी फायदे के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रहा है। यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? संविधान भी समान अधिकारों की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है। भाजपा मुसलमानों के पास जाकर उनके भ्रम को दूर करेगी।
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