मथुरा। करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए महिलाओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मथुरा में रात्रि 8:09 बजे क्षितिजपर चंद्रोदय होगा। इस बार करवा चौथ पर विशेष योग रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि करवा चौथ पर इस वर्ष विशेष योग है। चंद्रमा की 27 पत्नियां हैं, जिनमें रोहिणी नाम की पत्नी इनको अत्यंत प्रिय है। वह रोहिणी शाम 06:40 बजे से पूजा के समय आ जाएंगी एवं चंद्रमा के दर्शन, पूजन एवं अर्ध्य के समय साथ में रहेंगी। गुरुवार 13 अक्तूबर को करवा चौथ पर्व मनाया जाएगा। करवा चौथ पर महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए ब्रत रखेंगी। पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि इस साल करवा चौथ व्रत सिद्धि एवं साध्य योग, रोहिणी नक्षत्र एवं उच्च राशि के चंद्रमा में मनाया जायेगा। सुहागिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत महत्वपूर्ण कहा जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि 13 अक्तूबर को करवा चौथ का पूजा मुहूर्त शाम 05:54 बजे से लेकर शाम 07:09 बजे तक है। उन्होंने बताया कि करवा चौथ व्रत की पूजा चंद्रमा को जल अर्पित करने और पूजन के बाद ही पूर्ण होती है।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
ज्योतिषियों ने बताया कि धार्मिक कथाओं के मुताबिक जब पांडवों के जीवन पर संकट के काले बादल मंडरा रहे थे तब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत रखने की सलाह दी थी। इसके बाद द्रौपदी ने पूरे नियम के साथ करवा चौथ की पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों के जीवन पर से सभी संकट दूर हो गया था।
विद्वानों ने बतायी पूजा करने की विधि, नहीं टूटेगा व्रत
चांद न दिखे, तो परेशान न हो, पूरी होगी पूजा, मौसम की वजह से चांद न दिखने पर महिलाएं खोल सकतीं हैं व्रत, करवाचौथ को लेकर महिलाओं ने तैयारियां शुरु कर दी हैं। करवाचौथ में महज एक ही दिन शेष है। लेकिन लगातार बारिश होने के कारण अब महिलाओं में यह तनाव है कि चांद नहीं दिखा। तो व्रत का परायण कैसे होगा। निर्जला व्रत को कैसे खोलेंगे। अगर यह बरसात का सिलसिला यूं ही चलता है। चांद नहीं दिखता है। तो महिलाएं तनाव न लें। उनके व्रत का परायण भी होगा। पूजा भी पूरी होगी। बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पं अरविंद मिश्रा करवाचौथ व्रत में चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलने का शास्त्रीय नियम है। लेकिन शास्त्रों में विषम परिस्थितियों के लिए तमाम उपाय भी बताए गए हैं। अगर इस बार बारिश या बादलों के कारण चंद्र दर्शन न हो सकें, तो महिलाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। आपको बादलों में छिपने के कारण बेशक चंद्रमा के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि चंद्रमा उदित नहीं हुआ है। चंद्र और सूर्य तो नियमित रूप से समय पर उदित होते हैं। ऐसे में आप अपने शहर में चंद्रोदय का समय जानें और उस शुभ समय पर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर अक्षत यानी चावल से गोल चंद्रमा की आकृति बनाएं। इसके बाद ‘ॐ चंद्राय नमः’ या ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जाप करते हुए चंद्रमा का आवाह्न करें। इसके बाद चंद्र पूजन करें और वहीं चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय किसी स्वच्छ खाली पात्र को रख लें, ताकि जल की छींटें आपके पैरों तक न आएं। इसके बाद आप अपने व्रत का पारण कर सकती हैं।
पूजा का शुभ समय
13 अक्टूबर को रात 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। करवाचौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। पूजा का अति शुभ समय शाम 7बजकर 34 से 9बजकर 30 मिनट तक है।
Leave a Reply