
यूनिक समय, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने ठेकेदारों से जुड़ी 11 जगहों पर छापेमारी की, जिनमें कई सामान जब्त किए गए हैं। ठेकेदार लंबे समय से सरकारी राजस्व को चुराकर सरकार को गुमराह कर रहे थे। ED ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के तहत जांच शुरू कर दी है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
यह कार्रवाई मध्य प्रदेश के कई जिलों में शराब पर प्रतिबंध के बाद की गई है, जिसके बाद ED ने मामले की जांच तेज कर दी है। छापेमारी के दौरान शराब ठेकेदारों से जुड़े 11 परिसरों की तलाशी ली गई और कई अहम दस्तावेज़ और सामान जब्त किए गए। ठेकेदारों के खिलाफ पहले ही FIR दर्ज की जा चुकी थी, जिसके आधार पर ED ने जांच की शुरुआत की थी।
मंदसौर के शराब ठेकेदारों पर आरोप है कि उन्होंने जालसाजी और हेरफेर के जरिए राज्य सरकार को 49.42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा, ठेकेदारों ने वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच अवैध रूप से शराब के अधिग्रहण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त किया था। इन आरोपों के आधार पर ED ने कार्रवाई शुरू की है।
शुरुआत में ED की जांच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ठेकेदार छोटे-मोटे चालान जमा करते थे, फिर इन चालानों की रकम बढ़ाकर आबकारी कार्यालय में जमा करवा देते थे। पहले, ठेकेदार छोटे चालान कटवाते थे और बाद में चालान की रसीद में राशि बढ़ाकर आबकारी विभाग में जमा करवा देते थे। अब ED ने इस जालसाजी का पर्दाफाश कर दिया है।
इस जालसाजी के मद्देनजर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत मामला दर्ज किया है और इस पूरे मामले की जांच जारी है।
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