सरसों के तेल और रिफाइंड के दाम गिरे, मुनाफाखोरी…कचौड़ी और समोसा महंगे क्यों

सुबह का नाश्ता करने वालों के बीच आम चर्चा, प्रशासन लगाए अंकुश
महेश वार्ष्णेय
यूनिक समय /मथुरा। सरसों का तेल सस्ता। रिफाइंड आॅयल सस्ता। पाम आॅयल और सोयाबीन का तेल सस्ता। बेसन सस्ता। फिर चाट, कचौड़ी, समोसा और छोले भटूरे क्यों नहीं हुए सस्ते। यह चर्चा आजकल हर किसी की जुबान पर है। बाजार में खाद्यान्न तेल की कीमत चढ़ी तो चाट, कचौड़ी, समोसा और छोले भटूरे बेचने वाले समेत मिठाई बेचने वाले दुकानदारों ने कीमत बढ़ा दी। अब खाद्यान्न तेल पर दाम गिर गए तो व्यापारी कीमत करने के लिए तैयार क्यों नहीं।
सुबह-सुबह कचौडी, जलेबी का नाश्ता करने वाले, दोपहर को समोसा और छोले भटूरे का स्वाद लेने वालों की जुबान पर एक ही चर्चा सुनाई देती है, सेठजी से सरसों के तेल, रिफाइंड आॅयल, सोयाबीन तेल और पाम आॅयल की कीमत गिर गई। ंएक कनस्तर पर पांच और छह सौ रुपये का अंतर आ गया। प्रतिष्ठानों पर उपयोग करने वाले गैस सिलेंडर की कीमत गिरी हैं तो अब दुकानदार कचौड़ी, जलेबी, समोसा, छोले भटूरे, चाट पकौड़ी की कीमत कम करने के लिए तैयार नहीं हैं।

बाजार में सरसों का तेल और रिफाइंड आॅयल अब 190-200 रुपये लीटर से 140 रुपये लीटर हो गया है। दामों में अंतर देखकर खुद ही तुलना कर लीजिए कि बाजार में बिकने वाले सामान पर अंतर कितना होना चाहिए। कई व्यापारियों से इस बारे में बातचीत की तो मजदूरी बढ़ने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ते नजर आए। सुबह का नाश्ता करने वाले ग्राहकों के मन में महंगाई की टीस बहुत है। कहना है कि जिला प्रशासन को मुनाफाखोरी करने वाले दुकानदारों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्यवाही करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

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