बिस्तर पर दो महीने तक सोने के मिल रहे हैं 12 लाख रूपए, जानें कैसे

नई दिल्ली। अगर आप सोने के शौकीन है और आपको जर्मन भाषा आती है तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने दो महीने तक बिस्तर में पड़े रह सकने वाले 24 से 55 साल के स्वस्थ व्यक्ति को 19 हजार डॉलर (करीब 12 लाख रुपये) देने की घोषणा की है। ये दोनों अंतरिक्ष एजेंसियां मानव शरीर पर शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का पता लगाना चाहती हैं। इस अध्ययन के लिए उन्हें ऐसे लोग चाहिए जो दो महीने तक बिस्तर में लेटे रह सकते हैं। इस अध्ययन से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।
आगामी सितंबर से दिसंबर के बीच जर्मन एरोस्पेस सेंटर द्वारा जर्मनी के कोलोन शहर में किए जाने वाले इस अध्ययन के लिए 12 महिलाओं और 12 पुरुषों को चुना जाना है। जर्मन एरोस्पेस सेंटर की वेबसाइट पर कहा गया है, हम धरती और अंतरिक्ष पर मानव स्वास्थ्य को सामान्य बनाए रखने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। आने वाले अंतरिक्ष अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा और मंगल पर कई दिनों तक रहना पड़ेगा। ऐसे में उनके शरीर पर भारहीनता के प्रभावों का तोड़ निकालना बेहद जरूरी है। अध्ययन के लिए प्रतिभागियों को छह डिग्री के कोण पर झुके बिस्तर पर इस तरह लेटना होगा जिससे उनका एक कंधा हमेशा गद्दे से जुड़ा रहे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह लेटने से हाथ और पैर में खून का प्रवाह कम हो जाता है। अंतरिक्ष यात्री भी ऐसा ही अनुभव करते हैं।


इसके लिए नासा ने 24 वर्ष से 55 वर्ष के बीच के 12 पुरुषों और 12 महिलाओं को आमंत्रित किया है। ये सभी दो महीनों तक डिजाइन किए गए एक स्पेशल बेड पर सोएंगे। इस प्रयोग के लिए उन्हें 18,500 डॉलर यानी 12 लाख 84 हजार रुपये दिए जाएंगे। इस स्टडी के दौरान वॉलंटियर्स पर विभिन्न टेस्ट किए जाएंगे, जिनमें कॉग्निशन, मसल स्ट्रेंथ, बैलेंस और कॉर्डियोवैस्कुलर फंक्शन की जांच आदि शामिल होगी। इसके अलावा आधे वॉलंटियर्स को ऐंटी-ग्रैविटी चेंबर में रखा जाएगा। यानी उन्हें ऐसे चेंबर में रखा जाएगा जहां ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं होगा। साथ ही उन्हें किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होने दिया जाएगा, जिसमें थकान का अनुभव हो।

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