चंद्रयान—2 की लॉचिंग पर नासा ने किया ऐसा ट्वीट, हो गई किरकिरी !

नई दिल्ली। सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर से इतिहास रचा। इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग की. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:43 मिनट पर चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग भारत के ‘बाहुबली रॉकेट’ GSLV मार्क III-M1 से की गई. चंद्रयान-2 48 दिन बाद चांद के डार्क साइड कहे जाने वाले साउथ पोल पर लैंड करेगा, यहां आज तक कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है. इसरो के इस काम की दुनियाभर में तारीफ हो रही है. लेकिन, अमेरीकी स्पेस एजेंसी ‘नासा’ ने चंद्रयान-2 को लेकर ऐसा ट्वीट किया, जिसपर उसकी आलोचना हो रही है. आखिकार नासा को अपने ट्वीट पर सफाई देनी पड़ी।

इसरो की सफलता पर नासा ने ट्वीट किया, ‘चांद के अध्‍ययन के लिए चंद्रयान-2 को लॉन्‍च करने पर इसरो को बधाई. अपने डीप स्‍पेस नेटवर्क के जरिए मिशन के कम्‍यूनिकेशन के लिए सहयोग करने पर हमें गर्व है. चांद के साउथ पोल से आपको मिलने वाली जानकारी को लेकर हम आशान्वित हैं, जहां हम अर्टेमिस मिशन के जरिए अगले कुछ वर्षों में अपना अंतरिक्ष यात्री भेजने वाले हैं.’

नासा का ट्वीट

नासा की हुई आलोचना
नासा के इस ‘अहंकार भरे’ और ‘नीचा दिखाने वाले’ ट्वीट के लिए ट्रोल किया जाने लगा. केतन रामटेक ने लिखा, ‘क्‍या नासा इसरो को नीचा दिखा रहा है या उसे बधाई दे रहा है? आपके मून मिशन के लिए आपको अग्रिम बधाई.’


चंद्रयान-2 चंद्रयान-1 का एक्सटेंडेड वर्जन है

वहीं, प्रबल हजारिका ने लिखा, ‘मुझे नासा के इस ट्वीट का टोन पसंद नहीं आया. नासा घमंडी और दूसरों को नीचा दिखाने वाला लग रहा है. इसरो की सफलता की प्रशंसा कीजिए। बधाई देने वाले ट्वीट में ही अपनी सफलता का गुणगान म‍त करिए.’

नासा ने दी ये सफाई
ऐसे में आखिरकार नासा को अपने ट्वीट पर सफाई देनी पड़ी. नासा ने 3 घंटे बाद दूसरा ट्वीट किया, ‘हमने हमेशा से ही अंतरिक्ष खोज अभियानों में सहयोग देकर और इस दौरान मिली सीख पर गर्व महसूस किया है. वैश्विक सहयोग का सिद्धांत हमारे मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक रहा है ब्रह्माण्ड में हमारे स्‍थान से जुड़े अनसुलझे सवालों का जवाब देकर मानवीय समझ के विस्‍तार के लिए इस तरह का सहयोग जरूरी है.’

चंद्रयान-1 का सेकेंड एडिशन है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया एडिशन है. इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा. यह लैंडिंग चांद के साउथ पोल पर होगी. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला पहला देश बन जाएगा.


चंद्रयान-2 की खासियत
चंद्रयान-2 का वज़न 3.8 टन है, जो आठ वयस्क हाथियों के वजन के लगभग बराबर है.
इसमें 13 भारतीय पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे. इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा.
चंद्रयान 2 चंद्रमा के ऐसे हिस्से पर पहुंचेगा, जहां आज तक किसी अभियान में नहीं जाया गया.
यह भविष्य के मिशनों के लिए सॉफ्ट लैंडिंग का उदाहरण बनेगा.
भारत चंद्रमा के धुर दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने जा रहा है, जहां पहुंचने की कोशिश आज तक कभी किसी देश ने नहीं की.
चंद्रयान 2 कुल 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों को ले जा रहा है.

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