कश्मीर को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बयान से बौखलाया पाकिस्तान!

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे हस्तक्षेप पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से समस्या पैदा करने की कोशिश की जा रही है. 230 पाकिस्तानी आतंकियों की निशानदेही हुई है. जिसमें से कुछ भाग गए तो कुछ को गिरफ्तार किया गया है.

उन्होंने कहा कि ‘आधुनिक समाज के कई कानून थे जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को नहीं मिल रहे थे, शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया था, संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया था, इस तरह के 106 कानून 5 अगस्त से पहले अनुच्छेद 370 का संरक्षण ले रहे थे. यह विशेष दर्जा नहीं था, यह विशेष भेदभाव था.’

डोवाल ने कहा कि राज्य के 199 पुलिस थानों में सिर्फ 10 थानाक्षेत्रों ही पाबंदी है. बाकी इलाकों में कोई रोकटोक नहीं है. राज्य में 100 फीसदी लैंड लाइन कनेक्शन चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर की बहुसंख्यक जनता आर्टिल 370 हटने से खुश है. उन्हें वृहद भविष्य, मौके, आर्थिक प्रगति और रोजगार को लेकर आशान्वित हैं. सिर्फ कुछ शरारती तत्व इसका विरोध कर रहे हैं.

डोवाल ने कहा कि , ‘सेना की ओर से अत्याचार किये जाने का कोई सवाल नहीं उठता, केवल राज्य (J & K) पुलिस और कुछ केंद्रीय बल सार्वजनिक व्यवस्था संभाल रहे हैं. आतंकियों से लड़ने के लिए भारतीय सेना है.’

डोवाला बोले – आतंकियों से करते रहेंगे रक्षा
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तानी आतंकवादियों से कश्मीरियों के जीवन की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पिच हैं, भले ही हमें प्रतिबंध लगाना पड़े, आतंक एकमात्र चीज है जो पाकिस्तान कर रहा है. डोवाल ने कहा कि सीमा के पास 20 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तानी संचार टॉवर हैं, वे संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं, हमने बातचीत सुनी है, वे यहां अपने आदमियों को बता रहे थे कि टकितने सेब के ट्रक चल रहे हैं, क्या आप उन्हें रोक नहीं पाएंगे? क्या हमें आपको चूड़ियाँ भेजें?’

डोवाल ने कहा कि ‘जम्मू और कश्मीर के भौगोलिक क्षेत्र का 92.5 प्रतिशत प्रतिबंधों से मुक्त है.’ राजनीतिक नेताओं (जम्मू-कश्मीर में) की नजरबंदी पर एनएसए अजीत डोवाल ने कहा कि ‘वे एहतियात के तौर पर नजरबंदी में हैं, अगर सभाएं होतीं कानून और व्यवस्था बनाए रखने में समस्या हो सकती थी. आतंकवादी इस स्थिति का इस्तेमाल करते.’

डोवाल ने कहा कि ‘उनमें से किसी पर भी (राजनीतिक नेताओं) पर आपराधिक अपराध या राष्ट्रद्रोह का आरोप नहीं लगाया गया है, वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम करने तक एहतियात के तौर पर हिरासत में हैं, जो मुझे लगता है कि जल्द ही खत्म हो सकता है.’ उन्होंने कहा कि ‘सब कुछ कानून के ढांचे के अनुसार किया जाता है, वे अदालत में अपनी हिरासत को चुनौती दे सकते हैं.’

डोवाल ने कहा कि मुझे लगता है कि स्थिति (जम्मू और कश्मीर में) मेरे अनुमान के मुताबिक उससे बहुत बेहतर स्थिति है, केवल एक घटना की सूचना मिली है. 6 अगस्त को जिसमें एक जवान लड़के ने दम तोड़ दिया, वह गोली से नहीं मरा. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मृत्यु किसी चीज के ठोकर लगने से हुई. इतने दिनों में सिर्फ एक घटना की सूचना मिली थी, हम आतंकवादी प्रभावित क्षेत्रों और केवल एक घटना के बारे में बात कर रहे हैं.’

डोवाल ने कहा कि ‘हम सभी प्रतिबंधों को हटाना चाहते हैं लेकिन यह निर्भर करता है कि पाकिस्तान कैसा व्यवहार करता है. यदि पाकिस्तान सही व्यवहार करना शुरू कर देता है, आतंकवादी घुसपैठ नहीं करते हैं, और पाक अपने टावरों के जरिए ऑपरेटर्स को सिग्नल भेजना बंद कर देता है, तो हम प्रतिबंध हटा सकते हैं.’

पाकिस्तान झूठे और कोरे प्रचार में लिप्त
डोवाल ने कहा कि ‘श्रीनगर से 750 से अधिक ट्रक रोजाना जा रहे हैं, कल 2 आतंकवादी आए, वे एक प्रमुख फल व्यापारी हमीदुल्ला राथर को निशाना बनाना चाहते थे. वे उसे ढूंढ नहीं पाए क्योंकि वह नमाज़ अदा करने या कुछ करने गया था. वे अपने दो आतंकियों को सोपोर के भीतर 5 किलोमीटर दूर अपने घर ले गए जहां उन्होंने अपने बेटे मोहम्मद इरशाद पर गोली चलाई और अपनी ढाई साल की बेटी अस्मा जान पर भी गोली चलाई. दोनों पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास पिस्तौल थे और पंजाबी बोल रहे थे, दोनों फरार हैं.’

डोवाल ने कहा कि ‘एक और घटना हुई जहां एक दुकानदार अपनी दुकान खोलने की कोशिश कर रहा था, उसे आतंकवादियों ने गोली मार दी. पाकिस्तान एक स्थिति बनाने की कोशिश कर रहा है और फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बता रहा है कि अशांति है. पाकिस्तान झूठे और कोरे प्रचार में लिप्त है और कुछ बेख़बर लोग एक या दो घटनाओं को जनता की राय के रूप में ले रहे हैं.’

डोवाल ने कहा कि ‘पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाना देने के लिए धारा 370 का इस्तेमाल किया, उन्होंने 1988 में ऑपरेशन पुखराज का शुभारंभ किया, जिसके माध्यम से वे राजनीतिक स्थान का फायदा उठाना चाहते थे.’

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