महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच अटकलें लगाई जा रही हैं कि एनसीपी और शिवसेना भी सरकार बनाने के लिए साथ आ सकते हैं। खबर है कि एनसीपी ने शिवसेना के सामने एक शर्त रख दी है। शर्त यह है कि एनसीपी से समर्थन लेकर सरकार बनाने से पहले यूनियन मिनिस्टर अरविंद सावंत को नरेंद्र मोदी की कैबिनेट से इस्तीफा देना होगा। यानी एनडीए से हर स्तर पर गठबंधन तोड़ना होगा।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने पहले दावा किया था कि राकांपा शिवसेना को राज्य विधानसभा में स्पीकर के लिए भाजपा के उम्मीदवार को हराने में मदद कर सकती है, लेकिन राकांपा शिवसेना की गंभीरता को परखना चाहती थी। मिरर की खबर के मुताबिक एनसीपी नेता ने बताया कि शिवसेना सरकार बनाने के लिए समर्थन चाहती है और कांग्रेस के समर्थन की भी अपेक्षा कर रही हैं।
अगर शिवसेना सही में ऐसा समीकरण चाहती है तो उन्हें अपने केंद्रीय मंत्री को पद छोड़ देने के लिए कहना चाहिए। इससे अपनी सही मंशा का अंदाजा होगा। नहीं तो यह सब दिखावा होगा और अंत में बीजेपी-शिवसेना सरकार बना लेगी। यह कैसे संभव है कि शिवसेना केंद्र में बीजेपी के साथ भी रहे और उम्मीद करे कि राज्य में हम उसे समर्थन दें। बता दें कि इस साल मई में सावंत ने मोदी की नई कैबिनेट में भारी उद्योगों और सार्वजनिक उद्यम मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को दूसरी बार हराया था।
288 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल 105 विधायक बीजेपी के हैं, वहीं शिवसेना 56 विधायकों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी है। दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब बहुमत मिलने के बावजूद यह गठबंधन सरकार नहीं बना पा रहा है। शिव सेना 50-50 फार्मूले के तहत सीएम पद पर अड़ी हुई है। हर हाल में चाहती है कि 2.5 साल बीजेपी और 2.5 साल शिवसेना का सीएम हो और इस पर बीजेपी लिखित आश्वासन दे। वहीं कांग्रेस-एनसीपी ने भी मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिलीं।
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