तृणमूल सरकार की याचिका में कहा गया है कि गवर्नर सीवी आनंद बोस ने बिना कोई कारण बताए आठ विधेयकों को खारिज कर दिया है। यह कृत्य लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को कमजोर करता है। पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी और गवर्नर सीवी आनंद बोस के बीच ठन गई है। ममता सरकार के आठ विधेयकों को गवर्नर बोस द्वारा खारिज करने से यह नया विवाद उपजा है। ममता सरकार ने गवर्नर के फैसले के खिलाफ
अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बंगाल सरकार की वकील आस्था शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि गवर्नर ने बिना कोई कारण बताए आठ विधेयकों को खारिज कर दिया है। यह कृत्य लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को कमजोर करता है। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्यपाल महोदय की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 200 का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि बिना कारण बताए विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार करना लोकतांत्रिक शासन को कमजोर करना है। राज्य की वकील ने इस बारे में तर्क दिया कि राज्यपाल का यह कदम लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए खतरा पैदा कर रही है और राज्य के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। मामले की त्वरित सुनवाई की मांग पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट मामले पर विचार करेगी।
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