नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पेट्रोल और डीज़ल व्हीकल को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि इस पर चर्चा चल रही थी और मंत्रालय को सुझाव मिला था कि पेट्रोल-डीजल गाड़ियां पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि सरकार का पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर बैन लगाने का कोई इरादा नहीं है, हम ऐसा कुछ नहीं करने जा रहे हैं. लेकिन प्रदूषण को कम करना हमारी प्राथमिकता है. BS-6 वाहनों के चलते प्रदूषण कम होगा. इन खबरों के बाद ऑटो सेक्टर की कंपनियों में जोरदार तेजी आई है. निफ्टी के ऑटो इंडेक्स में शामिल सभी 1-5 फीसदी तक की तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं.
इस साल ऑटो सेक्टर की कंपनियों के शेयर 25 फीसदी तक लुढ़के- निफ्टी पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, ऑटो सेक्टर में छाई मंदी के चलते कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है. पिछले एक साल के दौरान टाटा मोटर्स का शेयर 56 फीसदी, टीवीएस मोटर का शेयर 39 फीसदी, महिंद्रा एंड महिंद्रा का शेयर 45 फीसदी और मारुति के शेयर में 33 फीसदी की गिरावट आई है.
क्या है मामला- आपको बता दें कि ऑटो सेक्टर में मंदी का दौर चल रहा है. इसी बीच पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की खबरें आई थीं. दरअसल, नीति आयोग ने प्रस्ताव दिया था कि तिपहिया वाहनों को 2023 और 150 सीसी से कम क्षमता वाले दो पहिया वाहनों को 2025 तक सड़कों से हटा कर उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाए जाएं. हालांकि नीति आयोग के इस कदम की ऑटोमोबाइल जगत में काफी आलोचना हुई थी.
नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार 5 लाख करोड़ रुपये के रोड कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट अगले 3 महीने में देने जा रही है. इनमें से करीब 68 प्रोजेक्ट तय हो चुके है. जिसका फायदा कंस्ट्रक्शन और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को होगा.
उन्होंने बताया है कि प्रदूषण को कम करना हमारी प्राथमिकता है. इसीलिए ऑटो सेक्टर में BS 4 के बाद अब BS 6 नियमों को लागू किया जा रहा है.
ऑटोमोबाइल सेक्टर की सबसे बड़ी समस्या है फाइनेंस की है. सरकार इस समस्या को सुलझा रही है. वैश्विक मंदी और डिमांड-सप्लाई की मिसमैच की वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर संकट से जूझ रहा है. सरकार हमेशा से इस सेक्टर के साथ खड़ी है. वित्त मंत्रालय की मदद से कोई हल निकालने की कोशिश कर रहे है.चार महीने में सेक्टर फिर से बेहतर स्थिति में लौट आएगा.
मोटर व्हीकल संशोधन कानून पर नितिन गडकरी ने कहा है कि 20 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति जिसमें 7 राजनीतिक पार्टियों की सरकारें थी. उनकी सिफारिशों के आधार पर ही इसे तैयार किया गया और लागू किया है. जॉइंट सिलेक्शन कमिटी और स्टैंडिंग कमिटी के पास भी यह गया उनके सुझावों के बाद इसे तैयार किया गया तब संसद में पारित किया गया.
नितिन गडकरी का कहना है कि देश मे 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती है डेढ़ लाख मौते हो जाती है.18 से 35 आयु के 60 फीसदी की मौत हो जाती है क्या इनकी जान नहीं बचानी चाहिए. कानून के प्रति सम्मान और डर नहीं हो ऐसी स्थिति अच्छी नहीं है.सरकार की ऐसी मंसा नहीं है कि ज्यादा जुर्माना लगाया जाए लेकिन लोग ऐसी स्थिति आने ही नहीं दे कि जुर्माना लगे.
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