चारधाम यात्रा के दौरान अब वीआईपी सिस्टम खत्म कर दिया गया है। भगवान के घर में हर भक्त एक समान होगा। कोई वीआईपी नहीं होगा। वहीं, यात्रा के दौरान अब तक 33 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पहले वीआईपी श्रेणी के दर्शन होते थे। इसे खत्म करने का फैसला लिया गया है। अब कोई वीआईपी नहीं होगा।
यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत पर चिंता जताते हुए पुष्कर सिंह ने कहा कि हमने सभी से अनुरोध किया है कि वे अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। मैं सभी से अपील करता हूं कि जब तक वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते, तब तक अपनी यात्रा (चार धाम यात्रा) शुरू नहीं करें। पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि किसी की मौत भगदड़ से नहीं हुई है। उन सभी ने पहले से मौजूद चिकित्सा समस्याओं के कारण दम तोड़ दिया। पुष्कर सिंह ने कहा, “मैं कतारों में खड़े युवाओं से अनुरोध करता हूं कि बूढ़े और जरूरतमंदों को कतार में आगे बढ़ने दें।”
पुष्कर सिंह ने कहा कि इस साल श्रद्धालुओं के आने के सभी रिकॉर्ड टूट गए। केदारनाथ के कपाट खुलने से एक दिन पहले 20,000 से अधिक लोग चारधाम यात्रा पर थे। प्रशासन और मंत्री चार धाम यात्रा की व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। यह 2 साल के अंतराल के बाद शुरू हुआ। यह हमारे लिए एक चुनौती है। हम होटल मालिकों, कैब ड्राइवरों, टूर गाइडों से मिले। हमें बताया गया था कि लोगों ने यात्रा के लिए बुकिंग लगभग डेढ़ महीने पहले से शुरू कर दी थी।
बता दें कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा को चारधाम यात्रा कहा जाता है। वार्षिक चारधाम यात्रा 3 मई को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई। चार धामों में हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
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