मथुरा। गोवर्धन कस्बे में समाजसेवियों द्वारा मोक्षधाम स्थली पर मशीन द्वारा गोबर से गौकाष्ठ की लकड़ी तैयार कर गरीबों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था की जा रही है। यह व्यवस्था यहां उपलब्ध होने लगी है।
मान्यता है कि समाज सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है, समाजसेवा अगर नि:स्वार्थ भाव से की जाए तो मानवता का कर्तव्य सही मायनों में निभाया जा सकता है। इसी से प्रेरणा लेकर गोवर्धन के समाजसेवियों ने एक अनूठी पहल की है।यहां की मोक्ष धाम स्थली पर समाजसेवियों द्वारा शुरू की गई अनूठी सेवा की मुहिम अब नया रंग ला रही है। धीरे-धीरे की गई छोटी शुरूआत ने अब बड़ा रूप ले लिया है। ऐसी सेवा को देखकर हर कोई इसकी सराहना कर रहा है, परिक्रमा मार्ग गांव हरीपुरा के निकट मोक्ष धाम (श्मसान) स्थली पर स्वयंसेवी अपने अथक परिश्रम से अंतिम संस्कार के लिए गोकाष्ठ की लकड़ी तैयार कर रहे हैं।
समाजसेवी गौतम खंडेलवाल ने पंजाब से गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन से प्रेरित होकर एक मशीन लेकर आये और उसका उपयोग ऐसी सेवा में करना शुरू कर दिया, गाय के गोबर से बनी लकड़ी का प्रयोग बेसाहरा लोगों के अंतिम संस्कार के लिए किये जाने लगा लेकिन अब मुहिम में मोक्ष स्थली पर सभी लोगों को गाय के गोबर की लकड़ी उपलब्ध कराई जा रही है। गोवर्धन में मोक्ष स्थली पर अंतिम संस्कार के लिए गोकाष्ट बनाने में गाय का गोबर, कपूर, हवन सामग्री, नवग्रह की समिधा, जल का उपयोग किया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य प्रशांत लवानियां ने बताया कि गाय आध्यात्मिक रूप से मां जगदंबा का स्वरूप है, इसके गोबर के बने से ईंधन से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित होती है जो कि पर्यावरण के लिए अनुकूल है।
इस सेवा से जुड़े गौतम खंडेलवाल कहते हैं कि ब्रज में गायों की दुर्दशा हो रही है। वे गौशालाओं से गोबर लेकर आ रहे हैं, प्रशांत लवानियां कहते हैं कि अंतिम संस्कार में सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का काम है, आकाश मिश्रा का कहना है कि इसमें ज्योतिष के हिसाब से नौग्रहों का भी ध्यान रखा है, मोहित लवानियां कहते हैं, अंतिम संस्कार में पेड़ों को काटकर लकड़िया लाई जा रही है,इससे पेड़ों का कटान रूकेगा।
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