यूनिक समय, मथुरा। जनपद की ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत अधिकारी या सचिवों की कमी के चलते विकास योजनाओं का सही ढंग से कियान्यवयन नहीं हो रहा है। कई पंचायत सचिवों के पास दो से चार तक पंचायतों का चार्ज होने के चलते पंचायतों को पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं।
पंचायतों के कार्यालय आए दिन बंद रहते हैं। ग्रामीणों को अपना जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, साफ सफाई की समस्या हो या फिर नाली खरंजा बनवाने के लिए दर—दर भटकना पड़ता है। ऐसी समस्याओं को लेकर ग्रामीण बीडीओ, डीपीआरओ कार्यालय या फिर तहसील दिवस में पहुंचते हैं। इस कारण जिला स्तरीय अधिकारियों के पास जांचों के प्रार्थना पत्र बढ़ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जिले में 495 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें कार्य सम्पादन के लिए 134 पंचायत सचिव जिले में तैनात है। पंचायत विभाग को इनसे पंचायतों का काम लेना पड़ रहा है। एक -एक पंचायत सचिव पर दो से तीन पंचायतों का कार्यभार है।
इस कारण पंचायत सचिव प्रत्येक ग्राम सभा को अपना पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। जिससे गांव वासियों को गांव में पंचायत सचिव के आने का इंतजार समस्याओं के समाधान के लिए करना पड़ रहा है। पंचायत सचिवों की नियुक्तियां कई वर्ष से शासन स्तर से नहीं हो पाई हैं।
एक ओर पंचायत राज विभाग ग्राम पंचायत कार्यालयों को आधुनिक बनाया जा रहा है। सुंदर पंचायत के कार्यालय बनाकर उनमें फर्नीचर, इंटरनेट आदि की व्यवस्था की गई है। वहीं पंचायत सचिव के बिना समय से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
पंचायत सचिवों को सम्पर्ण समाधान दिवस, ब्लाकों में होने वाले साप्ताहिक बैठक, जिला मुख्यालय पर होने वाली बैठकों में जाना पड़ता है।
एक पंचायत सचिव ने बताया कि शासन की योजनाओं की डॉटा फीडिंग करके रोजना भेजनी पड़ती है। उनके पास तीन ग्राम पंचायतों का चार्ज है, जो भी समय मिलता है उसको वे हर एक ग्राम पंचायत में एक दिन देते हैं।
दूसरी तरफ गांव वासियों का कहना है कि उनको सफाई कर्मी के ना आने की शिकायत करनी हो तो कहां करें। गांवों में सफाई कर्मचारी नियमित सफाई नहीं करते हैं। यदि प्रधान दूसरे गुट का हो तो वह उनकी समस्या को सुनता नहीं है। इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी को फोन मिलाया गया लेकिन फोन पर बात नहीं हो सकी।
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