Opinion: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राजभवन फिर आमने-सामने, अब नॉमिनेटेड सदस्यों पर फंसा पेच

मुंबई. पिछले महीने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का राज्य विधान परिषद के लिए निर्विरोध चुने जाने के बाद महाराष्ट्र में संवैधानिक संकट खत्म हो गया था. लेकिन अब एक बार फिर से उद्धव ठाकरे और राज्यपाल बी एस कोश्यारी के बीच तनातनी का दौर शुरू हो सकता है. इस बार पेच विधान परिषद में राज्यपाल की तरफ से नॉमिनेटेड सदस्यों को लेकर है.

10 सीटें हो रही हैं खाली

विधान परिषद में गवर्नर कोटा के 10 सदस्यों का कार्यकाल इस महीने खत्म हो रहा है. कांग्रेस के जनार्दन चंदुरकर, हुस्नबाणू खलीफे, रामहरी रूपनवर और आनंदराव पाटिल, एनसीपी के विद्या चव्हाण, प्रकाश गजभिये, ख्वाजा बेग और जगन्नाथ शिंदे 6 जून को रिटायर्ड हो गए. जबकि कांग्रेस के अनंत गाडली और पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी के जोगेंद्र कवादे 14 जून को रिटायर होने वाले हैं. NCP के राहुल नार्वेकर और रामराव वाधुके बीजेपी में शामिल हो गए हैं. नार्वेकर अब मुंबई में कोलाबा से विधायक हैं.

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सीटों को लेकर खींचतान

NCP के एक सीनियर मंत्री का कहना है कि तीनों दल आपस में 10 सीटों को बांट लेंगे. शुरुआत में शिवसेना 5 सीटें लेना चाहती थी. जबकि NCP को 4 और कांग्रेस को 3 सीटें मिलनी थीं. विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस ने अपना एक उम्मीदवार वापस ले लिया था. ऐसे में उन्हें शिवसेना के कोटे से एक और सीट मिल सकती है. सरकार नए सदस्यों के नाम जल्द ही राज्यपाल को भेज सकती है. लेकिन सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं को लगता है कि राज्यपाल भेजे गए नामों पर अड़ंगा डाल सकते हैं. पार्टी के कई नेताओं को लग रहा है कि राज्यपाल समानांतर पावर सेंटर बन गए हैं.

राज्यपाल ने ठाकरे को नहीं किया था मनोनीत

आपको याद होगा कि इससे पहले राज्य मंत्रिमंडल ने शुरुआत में सिफारिश की थी कि राज्यपाल अपने कोटे से ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करें. दो बार सिफारिश के बावजूद राज्यपाल ने ठाकरे को विधान मंडल के उच्च सदन में मनोनीत नहीं किया जिसकी सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के घटक दलों ने आलोचना की. बाद में ठाकरे ने पीएम मोदी से बात की और इसके विधान परिषद के चुनाव को हरी झंडी मिली

राज्यपाल बनाम ठाकरे

सरकार और राज्यपाल के बीच ताजा टकराव विश्वविद्यालय परीक्षाओं को लेकर हुआ है. सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस बार फाइनल ईयर की परीक्षाएं नहीं होंगी और पिछले सेमेस्टर के एग्जाम के आधार पर छात्रों को प्रमोट कर दिया जाएगा. लेकिन राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जता दी.

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