जीएसटी के नए नियम का छोटे कारोबारी कर रहे विरोध, वित्त मंत्रालय ने इसे गलतफहमी बताया!

नई दिल्ली। जीएसटी के नए नियम का छोटे कारोबारी विरोध कर रहे हैं। दरअसल, जीएसटी को लेकर यह नया नियम बनाया गया है कि इसका 1 फीसदी पेमेंट नकद करना होगा। छोटे कारोबारियों का कहना है कि इससे उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा और उनके लिए कारोबार कर पाना मुश्किल हो जाएगा। इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने सफाई दी है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस नए नियम के दायरे में 1 फीसदी से भी कम कारोबारी आएंगे और छोटे व्यवसायियों पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा। जानें इसके बारे में विस्तार से।

जीएसटी (GST) के इस नियम के तहत हर उस व्यापारी को, जिसका महीने का कारोबार 50 लाख रुपए से ज़्यादा है, 1 फीसदी जीएसटी नकद जमा करना होगा। इसका मकसद फर्जी बिलों के जरिए होने वाली टैक्स चोरी को रोकना है। वित्त मंत्रालय ने 22 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी करके जीएसटी नियमों में नियम 86B जोड़ने के बारे में बताया था।

टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि इस नए नियम से छोटे कारोबारियों पर बुरा असर पड़ेगा और उन्हें ज्यादा वर्किंग कैपिटल की जरूरत पड़ेगी। अधिकारियों का कहना है कि इस नियम के बारे में कारोबारियों के बीच गलतफहमी फैली है।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस नियम से सिर्फ 45,000 टैक्सपेयर्स पर ही असर पड़ेगा। यह 1.2 करोड़ टैक्स बेस का मात्र 0.37 फीसदी है। अधिकारियों का कहना है कि इस नियम से ईमानदार कारोबारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 1 फीसदी कैश पेमेंट की गणना एक महीने की टैक्स देनदारी पर होगी, न कि एक महीने के टर्नओवर पर। अधिकारियों ने कहा कि अगर किसी टैक्सपेयर का मंथली टर्नओवर 100 रुपए है तो उसे 12 फीसदी टैक्स देना होगा। इसमें उसे सिर्फ 1 फीसदी यानी 0.12 पैसे नकद देना होगा।

व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने जीएसटी (GST) से नियम 86B को हटाने की मांग की है। कैट (CAIT) ने इसके बारे में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी थी और इस नियम को तुरंत हटाने की मांग की थी।

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