नई दिल्ली। तालिबान की सरकार बनने के बाद दुनिया के कई देशों की विदेश नीति बदल रही है। इसी कड़ी में सीएनएन-न्यूज 18 को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पाकिस्तान के आईएसआई प्रमुख फैज हमीद ने शनिवार को रूस, चीन, ईरान और ताजिकिस्तान के खुफिया प्रमुखों से मुलाकात की है.।इस दौरान इन सबने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद दुनिया के बदलते ‘वर्ल्ड ऑर्डर’ पर चर्चा की। बता दें कि हाल के दिनों में पाकिस्तान के साथ-साथ चीन ने भी खुले तौर पर तालिबान का समर्थन किया है।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने इन देशों के खुफिया प्रतिनिधियों को अफगानिस्तान की नई सरकार के बारे में जानकारी दी है. साथ ही बताया कि नई सरकार में किन संगठनों और देशों की भूमिका है. बता दें कि हमीद इससे पहले सरकार गठन को लेकर काबुल भी गए थे। कहा जा रहा है कि इन सबको उन्होंने अपने उस दौरे के बारे में भी जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा उन्होंने उनसे ‘आतंकवाद को बढ़ावा देने में पिछली अफगानिस्तान सरकारों के साथ भारत द्वारा निभाई गई भूमिका’ के बारे में भी बात की।
पाकिस्तान का ‘तालिबान प्रेम’
कहा जा रहा है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान अब अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना चाहता है. पाकिस्तान ने गुरुवार को अफगानिस्तान के लिए अपनी आर्थिक योजनाओं की घोषणा की और तालिबान के साथ पाकिस्तानी रुपये में द्विपक्षीय व्यापार करने का फैसला किया। इससे पहले, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तालिबान का द्विपक्षीय व्यापार अमेरिकी डॉलर में था, और अफगान मुद्रा ज्यादा मजबूत थी. इस कदम से पाकिस्तान की मुद्रा का अफगान व्यापारियों और व्यापारिक समुदाय पर कब्जा हो जाएगा।
क्या पाकिस्तान के रवैये से खुश नहीं है तालिबान?
बता दें कि दो दिन पहले ने आपको खबर दी थी कि तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास आने के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल शुक्रवार को फेसबुक पर वायरल हुए एक ऑडियो में, एक तालिबान कमांडर को दूसरे कमांडरों से बात करते हुए सुना जा सकता है। वो कह रहा है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी प्रतिष्ठा खराब की है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच दरार की वजह अफगानिस्तान में गठित नई कैबिनेट को माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि आईएसआई प्रमुख ने हक्कानी और क्वेटा शूरा के नामों का प्रस्ताव रखा था। लेकिन तालिबान इसके पक्ष में नहीं था। तालिबान कमांडर इस ऑडियो में कह रहा है कि जनरल फैज हमीद ने उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।
मौके की तलाश में चीन
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने शुक्रवार को कहा था कि वो तालिबान सरकार के उद्घाटन समारोह में किसी भी तरह से हिस्सा नहीं लेगा. इस बीच, चीन नए अफगान शासन में भूमिका निभाने को इच्छुक है. अफगानिस्तान के तालिबान अधिग्रहण से पहले, चीन ने समूह के मुख्य वार्ताकार मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में शीर्ष तालिबान नेताओं की मेजबानी की थी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान प्रतिनिधिमंडल की जुलाई में तियानजिन की यात्रा के दौरान कहा था कि तालिबान अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक ताकत है.
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