नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को तीन तलाक बिल विपक्ष के हंगामे के बीच पेश किया गया. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ लोकसभा में पेश किया, जिसके बाद विपक्षी नेताओं से उनकी तीखी बहस भी हुई. 16वीं लोकसभा में भी इसे पेश किया गया था, लेकिन राज्यसभा में लंबित रह जाने के चलते ये विधेयक खारिज हो गया था. विपक्ष ने शुक्रवार को भी इसका जमकर विरोध किया, लेकिन यह बिल 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश हुआ.
बिल को पेश किए जाने के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई. कांग्रेस और सपा सहित कई अन्य दलों के नेताओं ने भी इस बिल का विरोध किया. हम बताते हैं कि किस नेता ने तीन तलाक बिल पर क्या बयान दिया?
कांग्रेस का विरोध करना दु:खद: रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीड़ा की बात है कि ओवैसी तीन तलाक का विरोध करे समझ आता है लेकिन आज पूरी कांग्रेस क्यों विरोध कर रही है? इससे पहले जब बिल पेश हुआ था तो कांग्रेस ने विरोध नहीं किया था. इतनी बड़ी हार के बाद क्या कांग्रेस पार्टी नहीं समझी. यह बिल धर्म का नहीं बल्कि महिलाओ के न्याय के लिए है. कांग्रेस इंसाफ के खिलाफ है. हम इसे लोकसभा में भी पारित कराएंगे और राज्यसभा में भी ले जाएंगे. 545 मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आए हैं. हम कांग्रेस के रूख की भर्त्सना करते हैं.
असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है. यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का. यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का. भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है.
ओवैसी बोले- मुस्लिम महिलाओं से ‘हमदर्दी’, हिंदुओं से नहीं?
ओवैसी ने कहा कि सरकार को मुस्लिम महिलाओं से ‘हमदर्दी’ है तो हिंदुओं महिलाओं से क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान विरोधी और आर्टिकल 14, 15 का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तहत अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल सजा देने का प्रावधान है. क्या यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? उन्होंने कहा कि इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी. यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है, बल्कि उन पर बोझ है.
शशि थरूर- यह बिल संविधान के खिलाफ
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सदन में इस बिल का विरोध किया. थरूर ने कहा कि मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं. उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है.
आजम खान- यह बिल राजनीतिक नहीं धार्मिक मुद्दा
सपा सांसद आजम खान ने कहा, ‘तीन तलाक बिल एक धार्मिक मुद्दा है. यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है और कुरान से अहम मुस्लिम समाज के लिए कुछ भी नहीं है. शादी पर और तलाक जैसे मुद्दों पर कुरान के स्पष्ट निर्देश हैं और हम इसका पालन करते हैं.’
‘खत्म हो तीन तलाक-हलाला जैसी कुरीति’
गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, ‘तीन तलाक/हलाला जैसी कुरीतियां बढ़ते हिंदुस्तान के माथे पर कलंक हैं. इन कुरीतियों के खिलाफ बनने वाले कानून का विरोध करने वाले मुस्लिम महिलाओं को दोजख की जिंदगी जीने पर मजबूर कर रहे हैं. हमने अतीत में बाल विवाह और सतीप्रथा जैसी कुरीतियों को समाज से निकाला और इसके खिलाफ कानून बनाया.’
नगमा बोलीं- यह बिल एक समुदाय के खिलाफ
फिल्म अभिनेत्री नगमा ने कहा कि कांग्रेस इस बिल के मौजूदा प्रारूप में विरोध कर रही है. कांग्रेस का मानना है कि मौजूदा बिल एक समुदाय विशेष के खिलाफ है. जब सुप्रीम कोर्ट खुद ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दे चुका है तो फिर सरकार उसके लिए सजा का प्रावधान क्यों करना चाहती है. यह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि अगर ट्रिपल तलाक में सजा का प्रावधान किया जा रहा है तो तलाकशुदा पत्नी को भी रियायत मिलनी चाहिए. बिना ऐसी रियासतों के यह बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. आखिर क्यों सरकार सुप्रीम कोर्ट के भी खिलाफ जाकर ट्रिपल तलाक में सजा का प्रावधान करने पर अड़ी हुई है.’
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