चिकित्सा विज्ञान संस्थान के देखरेख में चलने वाले ट्रॉमा सेंटर में ओपीडी और इमरजेंसी मिलाकर हर दिन करीब एक हजार से अधिक मरीज आते हैं। इसमें बनारस के बाहर से आने वाले मरीजों के साथ दो से तीन तीमारदार आते हैं। इस समय जब तापमान 40 डिग्री के पार है और बेतहाशा गर्मी है तो ट्रॉमा सेंटर में पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। ओपीडी में दूर दराज से आने वाले मरीज और उनके परिजन पानी खोजते-खोजते इमरजेंसी काउंटर के बाहर तक चले जाते हैं।
रविवार को इमरजेंसी में एक मरीज के साथ चंदौली से आए राजेंद्र दोपहर में एक बजे हाथ में पानी का बोतल लेकर एमआरआई कक्ष के पास बने पेयजल काउंटर के पास पहुंचे तो यहां लगी टोंटी गायब दिखी। पूछने पर पता चला कि पहले यहां वाटर कूलर भी था जो अब नहीं है। ट्रामा सेंटर में कैंटीन के गेट पर दो वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन यहां पहले से ही लाइन लगी थी। बिहार से आई वृद्ध महिला कमली अपने साथ एक बच्चे को लेकर पानी भरने पहुंची थी। बताया कि बहुत तलाश के बाद एक जगह मिला तो वहां भी इंतजार करना पड़ा।
वाराणसी: पानी के लिए भटक रहे मरीज
वाराणसी। बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में व्यवस्थागत खामियों की वजह से केवल इलाज के लिए बेड, जांच के लिए एक्सरे का संकट ही नहीं है। यहां पानी के लिए भी मरीजों, परिजनों को मारामारी करनी पड़ती है। एमआरआई कक्ष के पास पेयजल की व्यवस्था में लगी टोंटी गायब है तो कैंटीन के पास लगे दो वाटर कूलरों से पानी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
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