कानपुर। यूपी कानपुर और कन्नौज में करोड़ों रुपए मिलने और सोने की ईंट मिलने के बाद से ही इत्र कारोबारी पीयूष जैन जेल में बंद है। डीजीजीआई की रेड में पीयूष जैन के खिलाफ टैक्स चोरी के सबूत मिले थे, जिसके बाद से ही इत्र कारोबारी मुसीबत में है। अब इस मामले में खुद उसने डीजीजीआई के सामने कबूल किया है कि उसके घर से जो 196 करोड़ रुपए कैश मिले हैं, वह इत्र के कारोबार से ही कमाए हैं। खुद पीयूष जैन ने स्वीकार किया है कि उसने इत्र कारोबार से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की चोरी कर 196 करोड़ रुपये की धनराशि इकट्ठा की थी।
दरअसल, सूत्रों की मानें तो जेल में बंद पीयूष जैन से डीजीजीआई के अधिकारी ने सोमवार को पूछताछ की। डीजीजीआई विवेचक ने जेल में कई घंटों तक पूछताछ की और पीयूष जैन पर ताबड़तोड़ सवालों की बौछार होती रही। डीजीजीआई विवेचक की पूछताछ में पीयूष जैन ने कबूला कि छापे में मिले 196 करोड़ रुपए उसके ही हैं और उसने इत्र के कारोबार से ही कमाए थे। इतना ही नहीं, पीयूष जैन इत्र के कच्चे माल समेत खरीद-बिक्री के बिल नहीं काटता था और इस तरह से इतना धन अर्जित किया। उसने न तो कच्चा माल खरीदने में इनवाइस ली और न ही तैयार माल बेचने में इनवाइस दी।
हालांकि, पीयूष जैन डीजीजीआई अहमदाबाद की ओर से विवेचक को बता नहीं रहा है कि आखिर यह खरीद-बिक्री किससे की। इसके बाद डीजीजीआई ने कोर्ट से 14 दिन की रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और कोर्ट ने पीयूष का 23 जनवरी तक के लिए रिमांड बढ़ा दिया। बता दें कि बीते दिनों डीजीजीआई की छापेमारी में पीयूष जैन के घर से करीब 197 करोड़ रुपये कैश बरामद हुए थे, वहीं 23 किलो सोना मिला था. पीयूष जैन पर कर चोरी का आरोप है और अब उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि दिनों डीजीजीआई की छापेमारी में कैश और सोना बरामद होने के मामले में जेल में बंद पीयूष जैन के खिलाफ डीआरआई यानी राजस्व खुफिया महानिदेशालय ने भी कस्टम एक्ट में पीयूष जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। डीआरआई गोल्ड स्मगलिंग के एंगल से इसकी जांच कर रही है। दरअसल, कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से बरामद सोने की ईंटों को लेकर एजेंसी को शुरू से शक है कि इनकी तस्करी की गई है। एजेंसी को शक है कि पीयूष जैन के घर से जो 23 किलो सोने की ईंट या बिस्किट बरामद हुए हैं, वे दुबई से आए हैं। इसलिए पीयूष जैन की अकूत संपत्ति के तार गोल्ड स्मगलिंग से भी जुड़े होने का शक पैदा हो गया।
एजेंसी को शक है कि दुबई में गोल्ड पर टैक्स नहीं है, इसलिए वहां से गोल्ड की तस्करी सबसे ज्यादा होती है और हो सकता है कि पीयूष जैन ने यही रास्ता अपनाया हो। अब डीआरआई की टीम अब पता लगाएगी कि ये सोना कहां से आया है और क्या ये सोना तस्करी कर लाया गया? क्या इसके पीछे कोई गोल्ड स्मगलिंग सिंडिकेट है, क्या इस सोने पर कस्टम ड्यूटी चुकाई गई? डीआरडी इस बात का भी पता लगाएगी कि आखिर पीयूष जैन ने ये सोना किससे खरीदा। दरअसल, कस्टम एक्ट का जब भी उल्लंघन होता है, डीआरडीआई उस मामले में अलग से मुकदमा दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू करती है।
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