प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रातोंरात नोटबंदी करके देश को चौंका दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने तीन तलाक और अयोध्या जैसे कई बड़े-बड़े मामले पर भी फैसले सुनाए, जिनका काफी विरोध भी हुआ। अब ऐसा ही फिर से होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही ऐसा फैसला लेने वाले हैं, जिससे फिर हंगामा मच जाएगा। फैसले के विरोध में देश भर में आंदोलन की आग फैल जाएगी। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है, इसमें कई चीजों पर बहस होने की बात कही जा रही है, लेकिन इसके साथ ही सरकार एक ऐसा बिल पेश करने वाली है, जिससे फिर बवाल शुरू हो सकता है।
नागरिकता संशोधन बिल पेश करने की तैयारी में सरकार
सरकार शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने की तैयारी में है, जिसे पूर्वोत्तर के लोग इस बिल को राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत से खिलवाड़ बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार जम्मू कश्मीर की स्थिति, आर्थिक मंदी, महंगाई, बेरोजगारी, पर्यावरण प्रदूषण तथा कई अन्य ज्वलंत मुद्दों को पर दबाव बनाने के लिए ऐसा करने वाली है। नागरिकता संशोधन बिल, नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा।
क्या होगा संशोधन
भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल रहना जरूरी होता है। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान रखा गया है। इस बिल के आने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सांसदों को देश के किसी भी हिस्से में जाने का अधिकार है। तृणमूल के श्री बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी मूल्य वृद्धि, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को उठायेगी। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण एक राष्ट्रीय संकट के रूप में सामने आ रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा कराकर समाधान का प्रयास करना चाहिए। गौरतलब है कि सरकार इस सत्र के दौरान कम से कम 27 विधेयक पेश करेगी। सरकार की योजना दो अहम अध्यादेशों को कानून में परिवर्तित कराना भी है।
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