संसद सत्र: अमित शाह ने कश्मीर समस्या के लिए नेहरू का लिया नाम, कांग्रेस ने काटा हंगामा

नई दिल्ली। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश कर दिया है। उन्होंने सबसे पहले सदन में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा था जो दो जुलाई 2019 को पूरा हो रहा है. गृहमंत्री ने सदन से अनुरोध किया कि इस अवधि को छह माह के लिए और बढ़ाया जाए.

 

अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 अस्थाई तौर पर लगाई गई है और यह स्थाई नहीं है. ऐसा शेख अब्दुल्ला साहब की सहमति से किया गया है. कश्मीर को लेकर हमारी अप्रोच को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ है. जो पहले था, वहीं आगे भी रहेगा.

अतिम शाह ने कहा कि कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है. कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है. कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है. कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है. कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है.

जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे. आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं, ये जम्हूरियत है.

हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं. 70 साल बाद जम्मू कश्मीर की माताओं को टॉयलेट, गैस का कनेक्शन और घर दिया है. वहां के लोगों को सुरक्षा दी है, ये इंसानियात है.

अमित शाह ने कहा कि जिनके मन में जम्मू कश्मीर में आग लगाने की मंशा है, कश्मीर को भारत से अलग करने की कोशिश करने की मंशा है, अलगाववाद खड़ा करने की मंशा है उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि हां उनके मन में अब भय है, रहेगा और आगे ज्यादा बढ़ेगा.

जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी प्राथमिकता है. उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है. कश्मीर की आवाम को विकास और खुशी देने के लिए हमारी सरकार ने ढेर सारे कदम उठाए हैं.

हम कश्मीर की आवाम की चिंता करने वाली सरकार हैं. आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था. सिर्फ तीन ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे. ग्राम पंचायत, नगर पंचायत सब का शासन वही करें और सरकार भी वही चलाएं. ऐसा क्यों होना चाहिए?

शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं. लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा है.

इसकी जांच होनी चाहिए या नहीं, क्योंकि मुखर्जी जी विपक्ष के नेता थे, देश के और बंगाल के नेता थे. आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है.

23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. वहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई.

जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच एक खाई पैदा की गई. क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई.

अमित शाह ने सदन को बताया कि रमजान और अमरनाथ यात्रा के बीच में आने के कारण चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव कराने में अभी असमर्थ है. चुनाव आयोग ने इस साल के अंत तक चुनाव कराने का फैसला किया है. कई दशकों से इन महीनों में चुनाव नहीं हुआ है. प्रस्ताव का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पीडीपी और बीजेपी की मिलीभगत के कारण ही हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना पड़ रहा है. तिवारी ने कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ आपकी कड़ी नीति है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे. हालांकि यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि आतंकवाद के खिलाफ तभी लड़ाई जीती जा सकती है जब आवाम आप के साथ हो.

दो प्रस्ताव रखे अमित शाह ने
ऐसे में जरूरी है कि छह माह के लिए राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी जाए. सदन में अपनी बात शुरू करने से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज इस सदन के सामने मैं दो प्रस्ताव लेकर उपस्थित हुआ हूं. एक जम्मू-कश्मीर में जो राष्ट्रपति शासन चल रहा है, उसकी अवधि को बढ़ाया जाए और दूसरा जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 5 और 9 के तहत जो आरक्षण का प्रावधान है उसमें भी संशोधन करके कुछ और क्षेत्रों को जोड़ा जाए.

राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध
लोकसभा में आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया. इसी के साथ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे थे लेकिन चुनावी फायदा देखते हुए अब इस बिल को लाने की तैयारी की जा रही है. प्रेमचंद्रन ने कहा कि मैं इस बिल का विरोध करता हूं. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए गए.

आरक्षण संशोधन बिल
इससे पहले लोकसभा का एजेंडा बताते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन को बताया कि
आज जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सदन में पेश किया जाएगा और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने जाने पर चर्चा की जाएगी. इससे पहले आरजेडी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एडहॉक टीचर्स का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि टीचर्स से एक कागज पर दस्तखत कराकर कम सैलरी दी जाती है. गौरतलब है कि अगले हफ्ते सदन में मेडिकल काउंसिल बिल, तीन तलाक बिल, डेंटिस्ट बिल और केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा.

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