नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार कंपनियों को बड़ी राहत देने के लिए दो बड़े टैक्स खत्म करने पर फैसला ले सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मिनिमम अल्टरनेट टैक्स और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को हटाने पर जल्द फैसला लिया जा सकता है। दरअसल सरकार को डायरेक्ट टैक्स में सुधार से जुड़ी रिपोर्ट 19 अगस्त को सौंपी दी है। इसमें कमाई पर दोहरे टैक्स का बोझ खत्म करने जैसी अहम सिफारिशें हैं. सरकार इससे पहले GST लाकर इनडायरेक्ट टैक्स सुधारों को पहले ही लागू कर चुकी है. आपको बता दें कि अगर DDT हटता है तो आम निवशकों को भी बड़ा फायदा मिलेगा.
हो सकता है बड़ा फैसला-डायरेक्ट टैक्स में सुधार के लिए बनी टास्क फोर्स वित्त मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ये टास्क फोर्स इस रिपोर्ट में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को पूरी तरह से हटाने की सिफारिश कर सकती है.
आपको बता दें कि जब कंपनियां डिविडेंड देती हैं 15 फीसदी DDT लगता है. DDT के ऊपर 12 फीसदी सरचार्ज और 3 फीसदी एजुकेशन सेस लगता है.
इस तरह कुल मिलाकर DDT की प्रभावी दर 20.35 फीसदी हो जाती है.
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक ये टास्क फोर्स मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स (MAT) पूरी तरह से हटाने की भी सिफारिश कर सकती है.
अभी कंपनी के बुक प्रॉफिट पर 18.5 फीसदी MAT लगता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 115JB के तहत MAT लगता है.
इसके अलावा कॉरपोरेट टैक्स की दर 25 फीसदी करने और इनकम टैक्स की दरों और स्लैब में बड़े बदलाव की भी सिफारिश हो सकती है.
जानिए डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स यानी DDT को
अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देने से पहले भारतीय कंपनियों को 15 फीसदी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) देना पड़ता है. कंपनियों पर भारत सरकार यह टैक्स लगाती है.
किसी वित्त वर्ष में घरेलू कंपनी से मिले 10 लाख रुपये तक के डिविडेंड पर टैक्स से छूट मिलती है. यानी निवेशक को इस पर टैक्स नहीं देना पड़ता है.
किसी विदेशी कंपनी को अपने शेयरधारकों को दिए गए डिविडेंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान करने से छूट दी जाती है.
वहीं, विदेशी कंपनी से प्राप्त डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्सेबल होता है. इसे ‘अन्य स्रोतों से आय’ के तहत लिया जाता है. इस पर लागू दरों के अनुसार टैक्स वसूला जाता है.
म्यूचुअल फंडों से मिला डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्स फ्री है. लेकिन, उन्हें डेट फंडों के लिए 25 फीसदी की दर से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (29.12 फीसदी सरचार्ज और सेस के साथ ) देना पड़ता है.
इक्विटी फंडों के लिए यह 10 फीसदी (11.64 फीसदी सरचार्ज और सेस सहित) है.
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