कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने हाल ही में वायनाड लोकसभा उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने के बाद उनकी बहन प्रियंका गांधी यहां चुनावी मैदान में उतरी थीं। करीब साढ़े तीन दशक का खुद का राजनीतिक अनुभव बताने वाली प्रियंका पहली बार चुनावी राजनीति में दाखिल हुईं और वायनाड से उपचुनाव लड़ा।
प्रियंका गांधी ने सक्रिय राजनीति में काफी देरी से कदम रखा। इससे पहले वो केवल अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार करती हुई नजर आती थीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी मां सोनिया गांधी की चुनाव अभियान प्रबंधक थीं और अपने भाई राहुल गांधी के चुनाव प्रबंधन में मदद की।
वायनाड सीट पर हुए उपचुनाव में प्रियंका ने 410931 लाख वोट से जीत हासिल की। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को 622338 वोट मिले थे। यहां दूसरे नंबर पर माकपा के सत्यन मोकेरी रहे, जिन्हें 211407 वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर भाजपा की नाव्या हरिदास रहीं, जिन्हें 109939 वोट मिले हैं।
शपथ ग्रहण के बाद राहुल गांधी ने प्रियंका की कई तस्वीरें खींची। इस दौरान भाई-बहन के बीच जबरदस्त बॉन्डिंग देखी गई।
कांग्रेस महासचिव के शपथ ग्रहण के अवसर पर उनकी मां और पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाद्रा, पुत्र रेहान राजीव वाद्रा, पुत्री मिराया वाद्रा, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला और पार्टी के कुछ अन्य नेता सदन की दर्शक दीर्घा में मौजूद थे।
यह पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार के तीन सदस्य हैं। प्रियंका के भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तथा उनकी मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं। प्रियंका वायनाड लोकसभा उपचुनाव में चार लाख से अधिक मतों के अंतर से जीती हैं। वह पहली बार किसी सदन की सदस्य बनी हैं। वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में उतरी थीं और उसके बाद से पार्टी महासचिव के रूप में जिम्मेदारी निभा रही हैं।
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