
यूनिक समय, नई दिल्ली। पंजाब सरकार ने किसान आंदोलन के प्रति अपने रुख में अचानक बदलाव किया है, जिससे किसान और विपक्षी दल दोनों ही हैरान हैं। पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (AAP) किसान आंदोलन के समर्थन में थे, लेकिन हाल ही में पंजाब सरकार ने किसानों के खिलाफ सख्त कार्यवाही शुरू कर दी है, जो इस कदम से चौंकाने वाला है।
किसानों के खिलाफ पंजाब सरकार की कार्यवाही
19 मार्च को, पंजाब पुलिस ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया, जब वे केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक से लौट रहे थे। इसके बाद, पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के स्थायी और अस्थायी ढांचों पर बुलडोजर चलाया और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
यह कदम हैरान करने वाला है क्योंकि पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमेशा किसानों के पक्ष में खड़ा होने का दावा किया था। लेकिन मार्च के शुरुआत में हुई बैठक के बाद भगवंत मान का रुख बदल गया, जिसके बाद पंजाब सरकार ने किसानों के खिलाफ इस तरह की सख्त कार्यवाही की।
किसान आंदोलन पर भगवंत मान का रुख बदलना
पंजाब सरकार ने पहले कोर्ट में यह कहा था कि यदि किसानों के खिलाफ कार्यवाही की गई, तो इससे पूरे देश में अराजकता फैल सकती है। इस दौरान किसानों से बातचीत भी चलती रही, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार को किसानों से बातचीत करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
किसान नेताओं की ओर से जारी अनशन और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के बाद पंजाब सरकार को कोर्ट के आदेशों के तहत कार्यवाही करनी पड़ी।
क्या भगवंत मान का व्यक्तिगत विवाद किसानों को भुगतना पड़ा?
किसानों और पंजाब सरकार के बीच मार्च की शुरुआत में हुई बैठक में कोई समझौता नहीं हुआ। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मीटिंग के दौरान गुस्से में आकर कहा था कि अब कोई परिणाम नहीं होगा, और इसके बाद से पंजाब पुलिस ने किसानों के खिलाफ कार्यवाही तेज कर दी। मुख्यमंत्री ने यहां तक कह दिया कि वह पंजाब के तीन करोड़ लोगों के संरक्षक हैं और किसानों को सड़कों और पटरियों पर बैठने की अनुमति नहीं देंगे।
क्या इस बदलाव के पीछे अरविंद केजरीवाल का हाथ है?
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पंजाब सरकार के इस बदलते रुख के पीछे केवल भगवंत मान का व्यक्तिगत गुस्सा है, या फिर यह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर हो रहा है। अगर पंजाब सरकार मानती है कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार से जुड़ी हैं, तो इस कदम को पहले ही उठाया जाना चाहिए था। इससे विवाद से बचा जा सकता था और मुख्यमंत्री भगवंत मान को विपक्षी हमलों से बचाया जा सकता था।
अगर पंजाब सरकार को यह मालूम है कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार ही पूरी कर सकती है, तो सवाल यह है कि भगवंत मान अपने ही कदम से क्यों पीछे हट रहे हैं, जबकि पहले उनकी सरकार किसान आंदोलन का समर्थन करती रही है।
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