
दो जजों की खंडपीठ ने कहा आरोपी को ज़मानत देते समय एकल पीठ की टिप्पणी कठोर व न्यायिक औचित्य के विपरीत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी में स्कूली छात्रा से रेप और उसकी हत्या के मामले में आरोपी की जमानत पर एकल पीठ के आदेश पर सवाल उठाए हैं। दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ की टिप्पणी न सिर्फ कठोर है बल्कि न्यायिक औचित्य के विपरीत भी है। इनसे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि यह अधिवक्ता की ओर से की गई बहस है या कोर्ट ने अपनी मर्जी से टिप्पणी की है।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जब विवेचना की निगरानी इस न्यायालय की खंडपीठ कर रही है, तब एकल पीठ को अपनी मर्जी से टिप्पणी और जमानत अर्जी पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देशित नहीं करना चाहिए था। गत 26 सितंबर को महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने खंडपीठ को बताया था कि इस मामले में एकमात्र अभियुक्त स्कूल की प्रधानाचार्य की एकल पीठ ने नौ सितंबर को जमानत मंजूर कर ली है। इस पर खंडपीठ ने जमानत आदेश देखने के बाद उक्त टिप्पणी की थी। खंडपीठ ने कहा कि हमने एकल पीठ का अंतरिम जमानत का आदेश देखा। उनकी टिप्पणी न सिर्फ कठोर है बल्कि न्यायिक औचित्य के विपरीत भी है।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत कर बताया कि इस मामले में मुख्य गवाह का बयान दर्ज़ हो चुका है। मृत लड़की के माता-पिता को अभियोजन का गवाह बनाया गया है। मामले पर अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
Leave a Reply