डब्ल्यूएचओ ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए आर21- मैट्रिक्स एम मलेरिया वैक्सीन की सिफारिश की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंडीपेंडेंट एडवाइजरी बॉडी और स्ट्रैटजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स, मलेरिया पॉलिसी एडवाइजरी ग्रुप ने आर21- मैट्रिक्स एम मलेरिया वैक्सीन का प्रयोग करने की सिफारिश की है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी औऱ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के गठजोड़ से बनी मलेरिया वैक्सीन
डब्ल्यूएचओ ने यह सिफारिश वैक्सीन के प्री-क्लीनिकल और क्लीनिकल ट्रायल डाटा के बाद की है। यह डाटा बताता है कि वैक्सीन चार देशों में प्रयोग के लिए सुरक्षित है। यह वैक्सीन सीजनल और अन्य प्रकार के मलेरिया ट्रांसमिशन को रोकने में सक्षम है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बयान में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के लिए भी इसे सुरक्षित बताया है। यह वैक्सीन जेनर इंस्टीट्यू एट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने यूरोपियन एंड डेवलपिंग कंट्रीज क्लीनिकल ट्रायल्स पार्टनरशिप के सहयोग से तैयार किया है। साथ ही यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक का भी सपोर्ट मिला है।
सभी ट्रायल पास कर मिली मंज़ूरी – R21-Matrix M Malaria Vaccine
अभी तक आर21- मैट्रिक्स एम मलेरिया वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में यूज के लिए लाइसेंस दिया गया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि यह वैक्सीन लाखों बच्चों और उनके परिवारों को बचाने में कारगर साबित होगा। यह वैक्सीन इस वक्त 1 साल के लार्ज स्केल क्लीनिकल ट्रायल 3 को पूरा कर चुका है। बुर्किनो फासो, केन्या, माली और तंजानिया के करीब 4800 बच्चों को यह वैक्सीन लगाई जा चुकी है। फेस ट्रायल का प्रकाशन से पहले रिव्यू किया जा रहा है।
सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने कहा कि हम स्वस्थ और बेटर वर्ल्ड के लिए लगातार मिलकर काम कर रहे हैं। मुझे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का पार्ट होने पर गर्व है। हमने यह प्रभावी मलेरिया वैक्सीन तैयार की है और हम वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि जरूरतमंद लोगों तक इसे पहुंचाया जा सके।
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