नई दिल्ली- महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार के आतंकरिक कलह की खबरों के बीच एक नई सियासी जुगलबंदी ने प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। दरअसल, राज्य में कई जगहों पर स्थानीय निकाय के चुनाव चल रहे हैं। इसी दौरान ऐसे पोस्ट-बैनर सामने आए हैं, जिसमें महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के सुप्रीमो राज ठाकरे भी बीजेपी के नेताओं के साथ दिखाई पड़ रहे हैं। जिस तरह से शिवसेना ने राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चुनाव परिणाम आने के बाद पाला बदला है और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है, उसके बाद माना जा रहा है कि हार्ड हिंदुत्व के लिए खाली पड़ी जगह को राज ठाकरे भरने की कोशिश कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में बीजेपी के पोस्टर पर राज ठाकरे
महाराष्ट्र में इन दिनों स्थानीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं। इसी दौरान पालघर जिला परिषद के चुनाव में ऐसे पोस्टर सामने आए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। खबरों के मुताबिक पालघर में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एक बैनर लगाया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीरों के साथ एमएनएस चीफ राज ठाकरे को प्रमुखता से जगह दी गई है। इस तरह के पोस्टर-बैनर सामने आने के बाद फिलहाल इस बात की चर्चा हो रही है कि स्थानीय निकाय के चुनावों में बीजेपी और एमएनएस आपस में तालमेल कर सकती है। अगर ऐसा आधिकारिक तौर पर हो रहा है तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत बड़े बदलाव के संकेत मानी जा सकती है।
राज ठाकरे से मिले थे आशीष शेलार?
जानकारी के मुताबिक जब प्रदेश में बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन टूट गया तो भाजपा के वरिष्ठ नेता आशीष शेलार ने उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे से मुलाकात की थी। शनिवार को भी सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें सामने आई थीं कि हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना के तेवर बदलने के बाद और कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद राज ठाकरे उसकी हार्ड हिंदुत्व की विचारधारा को अपना सकते हैं। जानकारी के मुताबिक इसकी घोषणा की तारीख भी 23 जनवरी की तय की गई है। वैसे यहां ये बता देना जरूरी है कि दिसंबर में एमएनएस के नेता ने नागरिकता संशोधन कानून पर केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी और नए कानून को आर्थिक मंदी से ध्यान हटाने की कोशिश बताई थी।
बीएमसी में बिगड़ेगा शिवसेना का खेल?
गौरतलब है कि जब से राठ ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई है उन्होंने अपने चचेरे भाई मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के परिवार से बहुत अधिक सियासी दूरी बना रखी है। विधानसभा चुनावों के दौरान तो उन्होंने शिवसेना और बीजेपी गठबंधन पर जमकर निशाना साधा था।अलबत्ता पारिवारिक तौर पर दोनों भाइयों का मिलना-जुलना होता रहा है, लेकिन राजनीतिक तौर पर दोनों में पूरी तरह से छ्त्तीस का आंकड़ा है। वैसे उद्धव ठाकरे ने अपने शपथग्रहण समारोह में राज ठाकरे को बुलाया था और राज ने उसमें शिरकत भी की थी, लेकिन वह महज औपचारिकता भर रही थी। उद्धव ठाकरे के विश्वासमत के दौरान भी एमएनएस का एकमात्र विधायक तटस्थ रहा था। पिछले अक्टूबर में हुए 288 सीटों वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी को 2.25% वोट मिले थे। ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल निकाय चुनावों में भी बीजेपी-एमएनए ने गठबंधन कर लिया तो समीकरण काफी बदल सकता है। खासकर 2022 में होने वाले बीएमसी चुनाव में तो शिवसेना की जड़ें जरूर हिल सकती हैं, जो उसकी सियासत का अबतक मूल आधार रहा है।
विधानसभा चुनाव में शिवसेना पर पूरा भरोसा करना ही भाजपा की सबसे बड़ी चूंक हुई , अन्यथा भाजपा विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने को तैयार थी। यदि विधानसभा चुनाव भाजपा अकेले लड़ती तो फिर से भाजपा की सरकार राज्य में बनती। यह खुलासा भाजपा नेता नरायन राणे ने किया। कोल्हापुर में रविवार को पत्रकारों से बात चीत में नारायण राणे ने कहा कि भाजपा की सबसे बड़ी भूल थी शिवसेना पर विश्वास करना। उसी का खामियाजा है कि भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद विपक्ष में है। विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता से दूर हुए भाजपा और शिवसेना नेताओं के बीच जम कर जुबानी जंग शुरू है। आये दिन भाजपा और शिवसेना नेताओं के बीच नोक झोंक शुरू है। राणे ने भी शिवसेना को विश्वासघाती बताते हुए कहा कि हमारी भूल शिवसेना पर विश्वास है। इस मौके उन्होंने राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार पर टिका करते हुए कहा कि यह सरकार 2 महीने से अधिक नहीं टिकेगी। मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे को कोई अनुभव नहीं है , उन्हें सत्ता संभालने का तरीका भी नहीं पता है। कांग्रेस और एनसीपी के लोग उन्हें जम कर इस्तेमाल करेंगे।
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