जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में करीब 40 दिन से भी कम का समय बचा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही सत्ता में आने की चाहत को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने तो इस बार आचार संहिता लागू होने के साथ ही प्रदेश की 41 सीटों पर उम्मीदवार घोषित भी कर दिए हैं।
एक तरफ जहां भाजपा में गुटबाजी पहले से ही हावी हो रही थी वहीं अब इन उम्मीदवारों के घोषित होने के बाद यह और भी ज्यादा बढ़ चुकी है। क्योंकि भाजपा आलाकमान ने इस बार वसुंधरा राजे गुट के दो सबसे मजबूत नेता नरपत सिंह राजवी और राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काट दिया।
इसमें नरपत की जगह सांसद दिया कुमारी और राजपाल की जगह राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया गया है। उसके बाद से ही पार्टी में लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है। हालांकि पार्टी नरपत और राजवी को अब मानने में लगी हुई है या तो उनके कहने पर दूसरी विधानसभा में उनके लोगों को टिकट दिए जाएंगे या फिर उन्हें संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।
अब भरतपुर से वसुंधरा राजे की गरीबी अनीता सिंह गुर्जर और भवानी सिंह राजावत ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। जिनका कहना है कि अब वह किसी भी पार्टी में शामिल हो जाएंगे जो उन्हें मंच देने को तैयार है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि इसी तरह विरोध के स्वर तेज होते रहे तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि राजस्थान में अन्य छोटे दल भी ऐसे लोगों को अपने साथ करने की कोशिश में जुट चुके हैं जिससे कि सरकार बनाने के समय छोटे दलों की भी भूमिका महत्वपूर्ण रहे।
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