राजीव एकेडमी: शैक्षिक भ्रमण कर हिमाचल से लौटे छात्र

मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के बीसीए (षष्ठम सेमेस्टर) के छात्र-छात्रा हिमाचल प्रदेश के त्रिदिवसीय शैक्षिक भ्रमण से लौटे। छात्र-छात्राओं का दल हिमाचल प्रदेश के मनाली स्थित वन चेतना केन्द्र पहुंचा। जहां हरी-भरी प्रकृति के सानिध्य में सभी ने वन भोज का कार्यक्रम रखा। इसके बाद वहां के सरकारी क्लब हाउस प्रांगण में लगी हस्तशिल्प व कला प्रदर्शनी देखी। कुल्लू में हथकरघा इण्डस्ट्री में पहुंच कर छात्र-छात्राओं ने हथकरघे से कारीगरों को ऊनी शॉल बनाते हुए अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया।
आरके एजूकेशन हब के चैयरमेन डा. राम किशोर अग्रवाल और वाइस चैयरमेन पंकज अग्रवाल ने शैक्षिक भ्रमण कर लौटे छात्र-छात्राओं को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि शैक्षिक भ्रमणों से छात्र-छात्राओं के व्यावहारिक ज्ञान का स्तर कई गुना गुणवत्तापरक बन जाता है। छात्र-छात्राओं ने कुल्लू की विश्वप्रसिद्व शॉल इण्डस्ट्री में शॉल उत्पादन और इसके मार्केटिंग के बारे में जो अध्ययन किया वह महत्वपूर्ण है। कहा कि हमारे देश में इसी प्रकार की अनेक इण्डस्ट्रियां हैं। जिनके उत्पादों का विश्व बाजार में बडा सम्मान है। ऐसे प्रतिष्ठानों के शैक्षिक भ्रमण ज्ञानात्मक पक्ष को मजबूत करते हैं। ऐसा शैक्षिक भ्रमण छात्र-छात्राओं के ज्ञान की बढोत्तरी करता है। उनको प्रयोगात्मक ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। जो उनके जीवन में समस्याओं के समाधान करने में काफी सहाक रहता है। एम.डी. मनोज अग्रवाल ने कहा कि आई.टी. के युग में हमारे यहां के कई उद्योग विश्व बाजार को खासा प्रभावित कर रहे हैं। जो कि भारतीय बाजार के लिए अच्छा संकेत है। ऐसे उद्योगों के मैनेजमेंट के ढांचे के बारे में छात्र-छात्राओं को आवश्यक ज्ञानात्मक डाटा जुटाना चाहिए। ये डाटा उनको उनके जीवन में कई प्रकार की समस्याओं के समाधान में सहायक रहेगा। निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सैना ने बताया कि भ्रमण के आखिरी दिन छात्र-छात्राओं का यह दल शिलांग वैली भी पहुंचा। यहां बर्फ की घाटी में सभी ने आइस स्केटिंग का आनन्द लिया। बर्फीली नदी के बहते तेज पानी में छात्र-छात्राओ ने राफ्टिंग का भी भरपूर लुत्फ उठाया। कुल्लू विजिट के महत्वपूर्ण पड़ाव के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं ने कुल्लू में प्रसिद्व शॉल इण्डस्ट्री का अवलोकन किया। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने आवश्यक ज्ञानपरक सामग्री का संकलन करते हुए कारीगर और श्रमिकों के साथ शाल बुनने की प्रक्रिया सम्बन्धी जानकारी ली। व इस महत्वपूर्ण उत्पाद के मार्केटिंग मैनेजमेंट के बारे में इण्डस्ट्री के मार्केटिंग विभाग से महत्वपूर्ण डाटा एकत्रित किया। शैक्षिक भ्रमण का निर्देशन शिक्षक मनीष उपाध्याय ने किया।

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