आगे आगे रामलाल पीछे हजारों की भीड़। रामलाल चलता तो भीड़ चलती। रामलाल रुकता तो भीड़ भी रुक जाती। कभी-कभी रामलाल नाराज होकर पीछे मुड़ता तो भीड़ भाग खड़ी होती। करीब घंटे भर तक यही नजारा चाकुलिया शहर में मंगलवार को चलता रहा।
चाकुलिया, जासं। आगे आगे ‘रामलाल’, पीछे हजारों की भीड़। रामलाल चलता तो भीड़ चलती। रामलाल रुकता तो भीड़ भी रुक जाती। कभी-कभी रामलाल नाराज होकर पीछे मुड़ता तो भीड़ भाग खड़ी होती। करीब घंटे भर तक यही नजारा चाकुलिया शहर में मंगलवार को चलता रहा।
निश्चित रूप से आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह रामलाल है कौन? तो जान लीजिए आपकी जिज्ञासा को हम शांत किए देते हैं। ‘रामलाल’ एक विशाल जंगली हाथी है, जो चाकुलिया मुख्य शहर में घुस आया था। शहर से उत्तर कुचियाशोली पंचायत के रसपाल गांव में मंगलवार सुबह इस हाथी को ग्रामीणों ने देखा। विशाल काया और लंबे-लंबे दांत, पर स्वभाव से शांत। बेवजह कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। शांत स्वभाव का होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोगों ने इस हाथी का नामकरण रामलाल के तौर पर कर दिया है। वन विभाग के लोग भी अब इसे रामलाल कहकर ही पुकारते हैं। सुबह जब रसपाल गांव के समीप हाथी नजर आया तो लोग एकत्रित होने लगे। फिर क्या था, आगे आगे हाथी और पीछे पीछे लोगों का हुजूम। कोई तस्वीरें ले रहा था तो कोई वीडियो बना रहा था। सड़क किनारे जिन लोगों के घर थे वे छत के ऊपर से इस नजारे को देख रहे थे। धीरे धीरे गंधरुपी पुल पार कर हाथी नामोपाड़ा के रास्ते शहर की हृदय स्थली बिरसा चौक पहुंच गया। सूचना फैल जाने के कारण यहां पहले से ही सैकड़ों लोग हाथी को देखने के लिए चौक पर एकत्रित हो चुके थे। वन विभाग की टीम भी अपने उड़नदस्ता वाहन के साथ मौके पर मौजूद थी। लेकिन हजारों की भीड़ में वन विभाग के लोग भी क्या करते। आखिरकार रामलाल ने खुद ही अपना रास्ता चुन लिया। वह बिरसा चौक से बाएं मुड़ काकडीशोल की तरफ चल पड़ा। पेट्रोल पंप तक हजारों लोग उसके पीछे पीछे गए। बाद में हाथी पूर्णापानी जंगल के रास्ते रेल लाइन पार कर पश्चिम बंगाल सीमा की तरफ निकल गया। हाथी चला गया पर उसकी चर्चा पूरे दिन शहर में चलती रही।
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