नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक समीक्षा नीति में बदलाव करते हुए 0.25 फीसदी कटौती का ऐलान किया है। इसी के साथ किसानों को भी बड़ी राहत देते हुए बिना गारंटी के लोन की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख 60 हजार रुपये कर दिया है। इससे पहले किसानों को बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक लोन दिया जाता था। हालांकि आरबीआई के इस कदम को चुनावी साल से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने छठी मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान करते हुए रेपो रेट 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है, जबकि रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 प्रतिशत कर दिया गया है। रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को राहत मिलने वाली है, अब होम लोन के ब्याज दरों में कटौती होगी। 5, 6 और 7 फरवरी को चली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी।
RBI का कहना है कि 2019-20 में देश की GDP की रफ्तार 7.4% रह सकती है, जबकि महंगाई की दर 2019-20 के पहले क्वार्टर में 3.2, दूसरे में 3.4% और तीसरे हाफ में 3.9 क्वार्टर तक रह सकती है। आरबीआई ने बड़ा फैसला लेते हुए किसानों को मिलने वाले लोन की लिमिट भी बढ़ाई है। अब बिना किसी गारंटी के किसानों को 1.60 लाख तक का लोन मिल सकेगा, पहले ये लिमिट 1 लाख रुपये तक की थी, इसके लिए जल्द ही नोटिस जारी किया जाएगा।
ऐसे सस्ता होगा लोन
रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।
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