वृंदावन। दिन नए वर्ष का पहला दिन । स्थान.. ठाकुर बांकेबिहारी महाराज मंदिर हर किसी के कदम मंदिर की ओर बढ़ते हुए। तेजी के साथ कदम बढ़ाते हुए अद्धालू ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर पहुंचने के लिए लालयित नजर आ रहा था। आए भी क्यों नहीं, उसके मन में एक ही इच्छा थी कि कैसे भी ठाकुर बांकेबिहारी महाराज की एक झलक मिल जाए, लेकिन आस्था की समंदर में गोते में लगाते हुए श्रद्धालु मंदिर के अंदर पहुंचे तो उनकी आंखें ठाकुर बांकेबिहारी महाराज को निहारती रह गई। श्रद्धालुओं ने दोनों हाथों को जोड़ा और प्रभु से वर्ष 23 में सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। बोले.. ठाकुर बांके बिहारी महाराज अपना साया उनसे हटाना मत। वह तो आपके हैं और रहेंगे नए वर्ष में आए श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिरों की नगरी में ऐसा उमड़ेगा, शायद किसी ने कल्पना की हो। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर जाने वाले रास्तों पर भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों के भी पसीने छूट समंदर की तरह भीड़ का सैलाब उमड़ता ही जा रहा था बाजार और गलियों में भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। रमणरेती स्थित श्रीकृष्ण बलराम इस्कान मंदिर से श्रद्धालुओं को दूसरे रास्ते से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर तक भेजा जा रहा था। भीड़ में शामिल कई श्रद्धालुओं को अपने छोटे बच्चों को कंधा पर बिठाकर ले जाते हुए देखा गया था, जबकि बच्चे और वृद्धों पर मंदिर आने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
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