मथुरा। श्रीमद्भागवत गीता हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है। इस ग्रंथ में जीवन की हर परेशानी का हल छिपा है। ये एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। जब कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के मन में विषाद उत्पन्न हो गया था उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें निमित्त बनाकर पूरे संसार को गीता का उपदेश दिया था। गीता सिर्फ किसी धर्म या समुदाय की न होकर संपूर्ण मानव जाति के लिए है। साल 2023 के पहले दिन गीता की कुछ बातों का याद कर हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।
क्यों बेकार चिंता करते हो? किससे डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। बीते हुए समय का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान तो चल ही रहा है।
तुम क्यों रोते हो? क्या साथ लाए थे, जो तुमने खो दिया? जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया, जो दिया, इसी को दिया।
जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझने की गलती न करो।
परिवर्तन ही संसार का नियम है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही पल गरीब हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा।
आत्मा न मरती है न पैदा होती है। वह तो सिर्फ शरीर बदलती है।
जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।
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