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नई दिल्ली। कोरोना साल की शुरुआत से दुनियाभर में फैलना शुरू हुआ था। अब तक 25 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। इस तरह फैल रहा कोरोना का यह रूप सार्स कोव-2 (SARS CoV-2) शुरू से ही यह पहेली बना हुआ है। अब चीन के ताजा शोध से पता चला है कि इसके 30 अलग प्रकार हो चुके हैं।
क्या भ्रम की स्थिति रही है सार्स कोव-2 को लेकर
सार्स कोव-2 के बारे में शुरू से ही काफी भ्रम की स्थिति थी. एक तो इसके प्रभाव के बारे में कभी एक रूपता नहीं रही. न तो यह सभी लोगों के लिए खतरनाक रहा और कई जगहों पर बहुत ही ज्यादा खतरनाक. इसके अलावा इसके म्यूटेशन को लेकर भी स्थिति अस्पष्ट है. कभी यह खुद को म्यूटेट (Mutate) करने लगता है तो कभी बहुत दिनों तक इसका म्यूटेशन बंद रहता है।
क्या पाया है शोध में
चीन के होनजोऊ स्थित झेजियांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लांजुआन और उनकी टीम का मानना है कि दुनिया ने सार्स कोव -2 के खुद को म्यूटेट करने की क्षमता को काफी कम आंका है. प्रोफेसर ली का दावा है कि उनकी टीम ने इस कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन खोज निकाला है।
अलग स्ट्रेन असर कर रहे हैं देशों को
शोध में पाया गया है कि अलग-अलग स्ट्रेन दुनिया के विभिन्न भागों में प्रभावी रहे हैं. इसीलिए इसका इलाज ढूंढने में इतनी परेशानी हो रही है। शोधकर्ताओं ने होनजोउ के 11 कोरोना ग्रस्त मरीजों के स्ट्रेन का विश्लेषण किया।
19 स्ट्रेन के बारे में नहीं थी जानकारी
शोधकर्ताओं ने इस वायरस के 30 अलग म्यूटेशन पाए जिसमें से अब तक 19 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। प्रोफेसर ली ने अपने शोधपत्र में कहा है कि सार्स कोव-2 ने खुद में ऐसे म्यूटेशन किए है जिससे वह अपनी घातकता (Pathogenicity) बदल पा रहा है।
सबसे खतरनाक स्ट्रेन की भी हुई पहचान
इतना ही नहीं प्रोफेसर ली की टीम ने इस वायरस के सबसे खरनाक स्ट्रेन की भी पहचान की है. यह स्ट्रेन सबसे कमजोर स्ट्रेन के मुकाबले 270 गुना वायरल लोड बनाने में सक्षम है. यह सबसे तेजी से मानवीय कोशिकाओं का मारता है. शोध में इस बात पर जोर दिया गया है कि इस वायरस की विविधता अब तक पता नहीं चली है. इलाज या वैक्सीन के लिए इसे समझना बहुत जरूरी है।
इससे पहले तीन स्ट्रेन खोजे यूके के वैज्ञानिकों ने
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सार्स कोव-2 के तीन स्ट्रेन पता लगाए थे. इनमें इसका सबसे पहला स्ट्रेन टाइप ए पहले पैंगोलिन से चमगादड़ में और फिर इंसानों में आया था. लेकिन यह स्ट्रेन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा फैला।
टाइप बी और सी फैले इन देशों में
उस शोध में शामिल पीटर फेर्सटर और उनकी टीम ने पाया कि टाइप बी स्ट्रेन ब्रिटेन, चीन, बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, और नीदरलैंड में फैला. जबकि टाइप सी जो टाइप बी से बना चीन के बाहर अपने रूप में आया और पहले सिंगापुर और फिर यूरोप में फैला।
तो क्या हाल हैं भारत में
भारत में फैले सार्स कोव-2 के बारे में कहा जा रहा है कि यह अभी म्यूटेट नहीं हो रहा है। आईसीएमआर पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी है। भारत में फैला सार्स कोव 2 सिंगल म्यूटेशन वाला माना जा रहा है। अगर यह म्यूटेट नहीं होता है तो इसके खत्म होने की जल्दी संभावना है। भारत में अब तक संक्रमित हुए लोगों का आंकड़ा 20 हजार के करीब पहुंच चुका है जिनमें से 3800 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं जब की 640 लोगों की मौत हो चुकी है।
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