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नई दिल्ली। करोड़ों साल साल पहले मगरमच्छ के पूर्वज कैसे थे? अब तक इस बारे में वैज्ञानिकों को कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन पिछले कुछ समय में वैज्ञानिकों को इस तरह के निशान मिले हैं जिससे उनके बारे में एक चौंकाने वाली जानकारी मिली है। इन निशानों केअध्ययन से पता चला है कि 10 करोड़ साल पहले घड़ियाल और मगरमच्छ के पूर्वज दो पैरों पर चलते थे। जब कि अब तक वैज्ञानिक इन निशानों को किसी और जानवर के ही निशान मान रहे थे।
कहां पाए गए ये निशान
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जरनल में प्रकाशित शोध के मुताबिक इस प्रकार को उभयचर जीव आज के दक्षिण कोरिया के इलाकों में घूमा करते थे। शोधकर्ताओं ने नौ इंच लंबे ऐसे निशान पाए हैं जो क्रोकोडायलोमोर्फ हैं। यह क्रोकोडिलियन समूह है जिसमें मगरमच्छ, घड़ियाल, जैसे आकार के सरीसृप शामिल हैं। ये निशान उनके पिछले दो पैरों के हैं जिससे साफ हो पाया कि ये दो पैरों के जानवरों के हैं।
कैसे हुई दो पैरों वाली पुष्टि
कोलोराडो डेनवर यूनिवर्सिटी के पैलेएंटोलोजिस्ट और शोध के सहलेखक मार्टिन लॉकले का कहना है, “यहां एक साइट पर हमारे पास दो पैरों पर चलने वाले मगरमच्छ के पहले ठोस और निर्णायक प्रमाण हैं। ये जानवर हमेशा ही संकरे रास्ते बनाते हुए चलते थे, उनके आगे के पैरों के निशान कभी नहीं मिले। ये पैरों के निशान दक्षिण कोरिया के दक्षिणी तट के पास साचियोन शहर के पास पाए गए हैं।
पहले तो कुछ और ही लग रहा था वैज्ञानिकों को
शुरू में जब इन निशानों को देखा गया था, तब वैज्ञानिक भ्रम में पड़ गए थे, लेकिन पिछले साल नवंबर में जब लॉकले और उनके साथियों ने इस इलाके का दौरान किया। तब उन्होंने लॉकले की टीम से इसकी परिचर्चा की कि क्या ये निशान किसी बड़े पिटेरोसौर के है? पहले शोधकर्ताओं ने यह अनुमान लगाया था कि दक्षिण कोरिया में पाए जा रहे है इन निशानों के पीछे उड़ने वाले सरीसृप हैं जो धरती पर चलने के दौरान सीधा होकर चलते होंगे ताकि उनके पंख कीचड़ में न उलझ जाएं।
क्या शक हुआ बाद में
लेकिन जैसे ही लॉकले ने उन नए निशानों को देखा, उन्हें शक हुआ कि ये नए तरह के जानवर के निशान हैं। उन्हें ये निशान उन निशानों से अलग लगे जो उन्होंने उत्तरी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में दिखे थे। पहले वैज्ञानिकों ने इन 1-3 इंच के निशानों क्रोकोडाइलोमोर्फ के लगे थे जो घरेलू बिल्ली के आकार के थे और जूरासिक काल यानि कि 20 करोड़ साल पहले पाए जाते थे।
साफ निशानों ने बताई यह कहानी
लेकिन लॉकले और उनके साथियों ने इस साइट का दौरा किया तो वे 17 अलग-अलग जगहों पर इस तरह के बहुत सारे पैरों के निशान देख सके। लॉकी का कहना है कि पैरों की बनावट बहुत ज्यादा सुरक्षित हो गई थी। आप उनके पैर के पैड्स को विस्तार से देख सकते हैं.” एक जगह पर तो एड़ी के निशान आज के मगरमच्छ की तरह दिखाई दिए।
कितने पर चलते थे वाला सवाल
नए निशानों के आकार और संरचना का समय शुरुआती क्रिटेशियस काल के पास का पाया गाय है। ये निशान उन बिल्ली की आकार के क्रोकोडायलोमोर्फ के थे जो उसी काल में पाई जाती थीं। लेकिन ये मगरमच्छ उस समय चार पैरों पर नहीं चलते थे. उनके संकरे निशान यह बताते हैं कि ये सीधे चलते हैं बिलकुल इंसानों की तरह न कि दूसरे चार पैरों वाले जानवरों की तरह.।लॉकले का मानना है कि ये जानवर तब झीलों के किनारे मरी हुई मछलियों या जानवरों के शिकार की तलाश में घूमा करते थे। लेकिन ये आज के मगरमच्छ की तरह नहीं थे और पानी में रहने के आदी नहीं थे।
यह भी साफ हुआ कि इस तरह के निशान किसी बड़े पिटेरोसौर ने नहीं बल्कि दो पैरों पर चलने वालेक्रोकोडायलोमोर्फ ने बनाए थे। कुछ अन्य शोधकर्ताओं के संदेह के बाद भी लॉकले को विश्वास है कि इन निशानों की साफगोई उनके दावे को सही साबित करती है।
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