रालोद ने बिजनौर-बागपत के साथ विधान परिषद प्रत्याशी किए घोषित

जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए में शामिल हो गई है। रविवार को जयंत चौधरी की बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के एक दिन बाद सोमवार को पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही विधान परिषद के लिए भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया गया है।

रालोद ने बिजनौर और बागपत से उम्मीदवार उतार दिए हैं। पार्टी ने बिजनौर से चंदन चौहान और बागपत से डॉ. राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा है। वहीं विधान परिषद चुनाव के लिए आरएलडी ने योगेश चौधरी पर भरोसा जताया है।

जानकारी के अनुसार, डॉ. राजकुमार सांगवान 40 साल से ज्यादा समय से पार्टी के साथ हैं। वह वरिष्ठ नेता हैं। चौधरी चरण सिंह को अपना गुरु मानकर राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार मेरठ से आते हैं। उन्होंने लंबे समय तक किसान और छात्र राजनीति में प्रतिनिधित्व किया है। उनकी उम्र 63 साल है और वे माया त्यागी कांड के विरोध में 1980 में जेल जा चुके हैं।

वह आरएलडी के 1982 में जिला उपाध्यक्ष और 1986 में छात्र रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भूमिका निभा चुके हैं। 1990 में झारखंड, बिहार के चुनाव प्रभारी के साथ ही राजकुमार सांगवान आरएलडी में प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। वह अभी आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव हैं। उन्होंने एमए, पीएचडी तक की पढ़ाई की है।

वहीं चंदन चौहान की बात की जाए तो वह मीरापुर विधायक हैं। इसके साथ ही वाईआरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनके दादा स्वर्गीय बाबू नारायण सिंह यूपी सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि पिता स्वर्गीय संजय चौहान बिजनौर सांसद रह चुके हैं। चंदन चौहान की इस सीट पर दावेदारी मजबूत बताई जा रही है। देखना होगा कि सपा और बसपा इस सीट से किसे मैदान में उतारती है।

आपको बता दें कि बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में 195 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था, लेकिन बिजनौर-बागपत की सीटों पर किसी प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आया था। कयास लगाए जा रहे थे कि ये सीटें आरएलडी कोटे के लिए छोड़ दी गई हैं। हालांकि अब तक सीट शेयरिंग पर स्थिति साफ नहीं हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि यूपी की 80 में से दो सीटें ही आरएलडी को दी जाएंगी।

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में रालोद ने बसपा-सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उसने बागपत के साथ ही मथुरा और मुजफ्फरनगर के प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, हालांकि तीनों को हार का सामना करना पड़ा था। तीनों पर उन्हें बीजेपी के उम्मीदवारों ने शिकस्त दी थी। इस बार बीजेपी के इन दो सीटों पर न लड़ने से आरएलडी के उम्मीदवारों के लिए राह आसान हो गई है।

 

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