चंद्र प्रकाश पांडेय
बलदेव/मथुरा। गुरूवार की संध्या से ही जिस इंतजार में दूर-दराज से आये हुए श्रद्धालु पूरी रात नगर के विभिन्न रमणीक स्थानों पर रुके, उनके लिए शुक्रवार की सुबह आनंदमयी हो गयी।
सुबह के चार बजे मंदिर के कपाट खुल गए। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं को करीब दो घंटे तक मंगला के दर्शन हुए। शहनाई की धुन पर मंदिर परिसर चहुंओर से गुंजायमान हो रहा था। श्रद्धालु भी अपनी जगह पर खडे़ होकर थिरक रहे थे। सुबह करीब 6 बजते ही विशेष श्रंृगार के दर्शन हुए। थोड़ी देर बाद ही बालभोग के बाद दिव्य आरती के दर्शन करने के लिए बेरीकेडिंग के बीच लंबी लाइन देखी गईं।
सुबह 7 बजते ही परिसर में ही श्री बलभद्र सहस्त्रनाम पाठ के लिए पांडेय समाज के लोग धोती और बगलबंदी पहनकर अपने पारम्परिक परिधान में पाठ करते हुए नजर आये। थोड़ी देर बाद बलभद्र महायज्ञ में आहूति देने के लिए समाज के लोग एकत्रित हुए। वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य महायज्ञ संपन्न हुआ।
महायज्ञ संपन्न के बाद अवसर था भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ब्रजराज के जन्मोत्सव अभिषेक का। इसी बीच जगमोहन में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा हो गई थी। सेवायत और विशेष पंडितों के माध्यम से मंत्रोच्चारण के मध्य ब्रज के राजा के जन्मोत्सव पर पंचामृत अभिषेक हुआ। इस बीच मंदिर प्रांगण ‘रोहिणी जायो लल्ला, मचो है ब्रज हल्ला…’ -‘तीन लोक में कोई होय, पर ब्रज कौ राजा है दाऊदयाल…’, ‘अरी अलबेलो छैल छकनिया, ब्रज कौ राजा दाऊदयाल’ आदि गीतों से प्रांगण गूंज रहा था। फिर दाऊ दादा को दिव्य स्वर्ण आभूषण धारण कराये गये। ठीक 12 बजकर 30 मिनट पर राजभोग लगाया गया। इसके बाद हजारा आरती के दर्शन हुए। मुख्य आकर्षण का केन्द्र दधिकांधा रहा। पांडेय समाज और बाहर से आये श्रद्धालुओं में दही की बौछार से सराबोर होने की होड़ मच गई। प्रांगण में मल्ल विद्या, नारियल लूटाने का प्रदर्शन देख श्रद्धालु रोमांचक हो उठे। समाज गाायन करते लोगों द्वारा कस्बे के क्षीर सागर की परिक्रमा की गई। मोती बाजार, शिवरतन बाजार होते हुए मल्ल विद्या में लूटे नारियलों को दिखाते हुए अपने-अपने घरों को चले गए। कार्ष्णि गुरू गुरूशरणानन्द ने फल आदि मेवाओं को दधिकांधा में प्रसादी बतौर मंदिर छत से सेवायतों तक पहुंचाया।
क्षीर सागर पर लगा सेहरों का ढेर
बलदेव। बलदेव छठ पर क्षीर सागर पर सुबह से दोपहर तक शादी के सेहरों को विसर्जित करते हुए श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी। सेहरे विसर्जित करने की यह परंपरा बलदेव छठ पर निभाई जाती है। यह सेहरे माता-पिता अपने पुत्र की शादी के ठीक एक वर्ष बाद दूरदराज से आकर बलदेव के क्षीर सागर पर विसर्जित करते हैं।
मथुरा-सादाबाद मार्ग रहा खचाखच
बलदेव। बलदाऊजी के जन्मोत्सव पर बलदेव नगरी सहित मथुरा-सादाबाद मार्ग वाहनों से खचाखच भरा हुआ नजर आ रहा था। कहीं भयंकर जाम न लगे इस पैनी नजर से पुलिस पिकेट सुबह से शाम तक चौराहों पर तैनात रहा। भारी वाहनों को नगर में प्रवेश नहीं दिया गया। पुराने बस स्टैण्ड पर हल्के वाहनों को खड़ा करा दिया गया, जिससे अंदर और जाम की स्थिति पैदा न हो।
Leave a Reply