नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने स्वयंसेवकों को सलाह दी है। आरएसएस चाहता है कि स्वयंसेवक अनुसूचित जाति के लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल न करें। जहां तक संभव हो इससे परहेज़ करें। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी इसकी पुष्टि की है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक आरएसएस नेतृत्व का मानना है कि ‘दलित’ शब्द अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अपमानजनक है। साथ ही यह ग़ुलामी की मानसिकता का प्रतीक भी है। इसीलिए समाज के संबंधित वर्गों के लिए इसकी जगह ‘अनुसूचित जाति’ शब्द का इस्तेमाल करना ही उचित है। ऐसे ही आदिवासियों के लिए भी ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यही वजह है कि संघ के स्वयंसेवकों को ऐसी सलाह दी गई है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नए कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार भी इसकी पुष्टि करते हैं। यहां बताते चलें कि पिछले हफ्ते सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भी सभी राज्य सरकारों और सरकारी विभागों को ऐसा ही मशविरा जारी किया था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से इस बाबत जारी निर्देश की पृष्ठभूमि में दिए गए इस मशविरे में भी कहा गया था कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के लिए अब ‘दलित’ शब्द इस्तेमाल न करें।
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