वरिष्ठ संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। एनसीआर और ऑल इंडिया ईंट एसोसिएशन के आहवान पर केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी दर व कोयले के मूल्यों में भारी वृद्धि के विरोध में छाता व मांट तहसील क्षेत्र में ईंट भट्टा संचालकों के हड़ताल कर देने से सोमवार से ईंटों की बिक्री रोक दी है। जिससे जनपद में ईंटों का कारोबार ठप हो गया है। जिससे सरकारी व निजी क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्य प्रभावित होने लगे हैं। हजारों की संख्या में मजदूर बिना काम के घरों पर बैठ गए हैं। ईंट व्यापारी जीएसटी दर में वृद्धि और कोयले के मूल्य में बढ़ोतरी सहित विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। उन्होंने प्रशासन पर मिट्टी निकासी में उत्पीड़न करने का आरोप भी लगाया है।
पांच दिन तक चलने वाली इस हड़ताल से जनपद के सुरीर, मांट, नौहझील, बाजना तथा छाता क्षेत्र के करीब 200 भट्टों पर सोमवार को ईंटों की निकासी नहीं हुई। न ही मजदूरों ने ईंटों की थपाई की। इससे प्रतिदिन 40 लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है। वहीं सरकारी, निजी क्षेत्र में निर्माण कार्य पर भी असर पड़ा। मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है।
ईट भट्टा एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष ठा. संजीव कुमार सिंह ने कहा ने बताया कि सरकार की इस नीति से जहां कोयले के रेट प्रति टन 12,000 से बढ़कर 25,000 रुपये हो गए हैं। वहीं जीएसटी की दर पहले पांच फीसदी थी वह बढ़कर 12 फीसदी हो गई है। जिससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। ईटों को कोई पांच हजार रुपये प्रति हजार से ज्यादा खरीदने को कोई तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां करीब 200 से अधिक ईंट भट्ठे हैं, जो कि पिछले कईं वर्षो से चल रहे हैं। इन ईंट भट्ठों से ईंटों की सप्लाई आसपास के जिलों के अलावा एनसीआर में सबसे अधिक होती है।
एसोसिएशन के महामंत्री केदारनाथ उपाध्याय ने बताया कि लाल ईंटों की बिक्री में जीएसटी दर और कोयले के मूल्य में बढ़ोत्तरी हुई है। मिट्टी की निकासी में प्रशासन उत्पीड़न कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने भट्ठा कारोबारियों की मांगें नहीं मानी तो अगले सीजन में ईंट उत्पादन नहीं होगा। सुरीर संवाददाता ने बताया कि जनपद में प्रतिदिन 200 से 225 ट्रैक्टर ईंटों की निकासी होती है। यह निकासी आज नहीं हुई। पांच दिन तक चलने वाली हड़ताल से भट्टे सुनसान नजर आए वहां पर कोई कार्य नहीं हुआ।
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