बृज संस्कृति की अनेक कला कृतियां सूखे रंग व पानी पर उकेरी जा रही हैं
मथुरा। वृंदावन में रमणरेती मार्ग स्थित वृंदावन शोध संस्थान में 16 दिवसीय सांझी मेले का आयोजन शुरू हो गया। जिसमें बृज संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। इसका शुभारंभ शनिवार को संत गोविंदानंद तीर्थ व पद्मश्री कृष्णा कन्हाई चित्रकार व अन्य मुख्य अतिथियों द्वारा संस्थान परिसर में दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए शोध अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि साँझी पितृ पक्ष के दौरान ब्रज मंडल में होने वाला वह अनुष्ठान है जिसकी ख्याति यहां के परिवेश में विविधताओं के साथ गहरे तक देखी जा सकती है। ब्रज सँस्कृति का यह अपना वैशिष्ट्य है। यहां लोक एवं देवालयी दोनों पक्षों के सामंजस्य से इस परम्परा का वैशिष्ट्य उत्तरोत्तर गहराता गया है। श्री शर्मा ने बताया कि ब्रज की साँझी का अपना आकर्षण ही है। न केवल भारतीय अपितु विदेशी शोध अध्येताओं ने भी इस पक्ष पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किये हैं। जो इस उत्सव से जुड़ी व्यक्ति के प्रसार का परिदर्शन करते हैं। मान्यता के अनुसार गौधुली बेला में जब भगवन श्री कृष्ण गौचारण कर वापस लौटते थे तब राधा रानी अपनी सखियों के साथ उनके रास्ते में प्रभु को प्रसन्न करने के लिए विविध प्रकार के पुष्प पत्रों से सुसज्जित कर कलाकृतियां बनाती थीं। कालांतर में भक्ति के इस अनुरूप को प्रसन्न करने का यह पवित्र अनुष्ठान पुष्प साँझी के रूप में ब्रज के देवालयों में प्रचलित हुआ। भक्ति साधना के रूप में ब्रज के देवालयों में पल्लवित इस कला के क्रमिक विकास की परिणीति में आज सूखे रंगों की साँझी तथा पानी के ऊपर एवं नीचे इसके अंकनों से इस कला का चर्मोत्कर्ष देखा जा सकता है। इस अवसर पर विहिप के नेता सौरभ गौड़, पार्षद राधाकृष्ण पाठक आदि उपस्थित थे।
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