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वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक विभिन्न मदों में लगाए गए फर्जी बिल, पूर्व में निदेशालय की टीम ने पाई थी अनियमितता, अब एसआईटी करेगी जांच
समाज कल्याण में एक और घोटाला सामने आया है। इस बार आश्रम पद्धति विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2019-20 से वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान अनुदान संख्या 80 व 83 के लिए जारी धनराशि के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। मामले में आश्रम पद्धति विद्यालयों की ओर से सहयोग न करने और घोटाले में करोड़ों की धनराशि के हेरफेर की आशंका के मद्देनजर शासन ने इसकी जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) गठित कर दिया। एसआईटी सोमवार की शाम प्रयागराज आ गई है। मंगलवार से जांच शुरू करेगी।
प्रयागराज में आश्रम पद्धति के शंकरगढ़, कोरांव, करछना और कौड़िहार में चार विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में तीन वित्तीय वर्षों में अनुदान संख्या 80 व 83 के तहत शासन से धनराशि अवमुक्त की गई थी। धनराशि के दुरुपयोग की शिकायत हुई तो समाज कल्याण विभाग के निदेशालय ने इस साल 29 अप्रैल को एक जांच कमेटी गठित की जिसके अध्यक्ष निदेशालय में तैनात तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अलख निरंजन मिश्र व सदस्य गजेंद्र कुमार द्विवेदी और विवेक कुमार थे। कमेटी को एक सप्ताह में रिपोर्ट पेश करनी थी। कमेटी इस साल दो मई को प्रयागराज आई और चार मई तक चारों विद्यालयों में सत्यापन के लिए गई। कमेटी को अनुदानित राशि के मांग, उपयोग, गुणवत्ता और वितरण की जांच करनी थी। विद्यालय की ओर से पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत न करने पर छह मई को टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें यह पाया कि कुछ संस्थाओं को ही बार-बार काम दिया गया। प्रस्तुत साक्ष्यों में 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का भुगतान एक ही मद में कई बार किया गया, जिसका न तो मांग पत्र प्रस्तुत किया गया और न ही वर्क ऑर्डर। ऐसे में कमेटी ने विद्यालय के अधीक्षकों व तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी को प्रथम दृष्टया: दोषी माना था, हालांकि यह कहा गया था कि पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण जांच पूरी नहीं हो सकी। इसे लेकर शासन की ओर से बाद में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी सोमवार को पहुंच गई है।
मिट्टी की भराई में खर्च किए 2.81 लाख
जांच में यह पाया गया था कि कौड़िहार के आश्रम पद्धति विद्यालय में इसी साल फरवरी महीने में दो लाख 81 हजार 250 रुपये की राशि केवल मिट्टी की भराई के लिए खर्च की गई। न तो इसका मांग पत्र था और न ही बिल प्रस्तुत किया गया। संस्था के अनुभव प्रमाणपत्र को भी नहीं दिया गया।
कौड़िहार में मोबाइल भी खरीदा
कौड़िहार के आश्रम पद्धति विद्यालय में मोबाइल भी खरीदा गया। इसके औचित्य पर सवाल उठाया। विद्यालय में मोबाइल खरीदने का कोई नियम नहीं था। ऐसे में मोबाइल क्यों खरीदा इस पर सवाल किया गया है।
कई बच्चों को बार-बार ड्रेस
स्कूलों में एक ही बच्चों को बार-बार ड्रेस, कपड़े देने और दूसरे उपकरण दिए गए। ऐसे छोटे-छोटे वर्क ऑर्डर जारी किए गए हैं, जिसमें बड़ा घोटाला हुआ है
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