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साइबर अपराधों से निबटने के लिए छात्र-छात्राओं को किया जाएगा जागरूक, हर महीने के पहले बुधवार को मनेगा साइबर अपराध जागरूकता दिवस, गृह व शिक्षा मंत्रालय, एससीईआरटी व एनसीईआरटी ने जारी किया निर्देश
देश के सभी स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थी साइबर अपराध से बचने के गुर सीखेंगे। कोरोना काल के समय से ही ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते प्रचलन तथा इंटरनेट के उपयोग की अनिवार्यता को देखते हुए न सिर्फ छात्र-छात्राओं को बल्कि शिक्षकों व अभिभावकों को भी साइबर अपराध से बचाव का मंत्र बताया जाएगा। इसको लेकर विशेष अभियान चलाने का भी निर्णय हुआ है।
गृह मंत्रालय और भारत सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसको लेकर बड़ी पहल की है। दरअसल गृह मंत्रालय समन्वित और व्यापक तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ योजना को लागू कर रहा है। 6 अक्टूबर से विभिन्न राज्यों में इसकी गतिविधियां भी आरंभ हो गई हैं और साइबर अपराध से विद्यार्थियों को बचाने की यह मुहिम हर माह बिहार के स्कूल-कॉलेजों में भी चलाने का निर्णय राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने लिया है। इसको लेकर राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है। उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में हर माह के पहले बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस के रूप में मनाना सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके कार्यशाला, सेमिनार, क्विज, प्रतियोगिता सहित कई कार्यक्रम होंगे। शैक्षणिक संस्थान जागरूकता कार्यक्रम के लिए साइबर से जुड़ी तकनीकी पहलुओं की जानकारी के लिए गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम को-आर्डिनेशन सेल (आई4सी) के फेसबुक, यू-ट्यूब, ट्विटर और टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया हैंडल्स पर दी गई विस्तृत जानकारी का उपयोग कर सकते हैं।
..इसलिए साइबर जागरूकता अभियान जरूरी
भारत इंटरनेट का तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता देश है। इंटरनेट ने हमारे आपस में संवाद करने, मित्र बनाने, नई सूचना (अपडेट) साझा करने, खेल (गेम) खेलने और खरीदारी करने के तरीके को बदल दिया है। यह हमारे दैनिक जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। खासतौर से शिक्षण व्यवस्था में यह अहम पहलू बन चुका है। इसलिए साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए छात्र-छात्राओं को जागरूकता करना जरूरी है। साइबरस्पेस के बढ़ते उपयोग के साथ, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध जैसे साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग, साइबर उत्पीड़न, चाइल्ड पोर्नोग्राफी आदि भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इन सबसे बचाव के लिए भी साइबर जागरूकता जरूरी है।
स्कूली बच्चों में जानकारी का अभाव
स्कूली बच्चों को इंटरनेट के असुरक्षित प्रयोग से संबंधित साइबर खतरों की कोई जानकारी नहीं होती है। चूंकि बच्चे ही साइबर अपराधों के अधिक शिकार होते हैं, इसलिए उन्हें आरम्भिक अवस्था में ही जागरूकता प्रदान करना आवश्यक है।
छात्र-छात्राओं को ये बताया जाएगा
– साइबर स्वच्छता गतिविधियां
– साइबर पेरेंटिंग का महत्व
– विभिन्न साइबर अपराध व उससे सुरक्षा
– डिजिटल वेलनेस के महत्व
– ‘साइबर मंत्र- साइबर शिक्षा से साइबर सुरक्षा’ क्या है?
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