
यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में 2021 में हुई बुलडोजर कार्यवाही पर आज, सोमवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी पांच याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे, जो छह सप्ताह के भीतर दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना उचित नोटिस दिए मकानों को गिराना गलत था और इसे अवैध माना है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की आवश्यकता को इस बात से भी जोड़ा कि यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि भविष्य में सरकारें बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के लोगों के घरों को न गिराएं। जजों ने एक वायरल वीडियो का हवाला भी दिया, जिसमें एक बच्ची अपनी झोपड़ी को गिरते हुए देख कर अपनी किताबें लेकर भागती हुई नजर आई थी। यह वीडियो 23 मार्च को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से सामने आया था, जहां एक बच्ची बुलडोजर के हमले से अपनी झोपड़ी को बचाने के लिए दौड़ रही थी।
इससे पहले 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर कार्यवाही को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी। पीड़ितों का कहना था कि राज्य सरकार ने गलती से उनकी ज़मीन को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया, जिसके कारण प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घर गिरा दिए गए थे। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि जिन घरों को गलत तरीके से गिराया गया है, उन्हें सरकार अपने खर्च पर फिर से बनाएगी।
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