1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका इतिहास में पहली बार इतने भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार (16 मई) को जैसे ही प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश को संबोधित करते हुए कहा-‘मैं देश से झूठ नहीं बोलूंगा। हालात बेहद खराब हैं। हमारे देश के पास सिर्फ एक दिन का पेट्रोल बचा है।’ इस ऐलान के बाद श्रीलंका में पेट्रोल पंप और गैस एजेंसियों पर मीलों लंबी लाइन लग गई। बता दें कि श्रीलंकाई लगभग तीन महीने से गैस, ईंधन, बिजली, दवाओं आदि के संकट का सामना कर रहे हैं। स्थिति को कंट्रोल करने श्रीलंका में सोमवार रात 8 बजे से मंगलवार सुबह 5 बजे तक 9 घंटे के लिए नाइट कर्फ्यू लागू लगाना पड़ा। साथ ही पीएम नेचेतावनी दी है कि बिजली कटौती 15 घंटे तक रोज बढ़ सकती है। इस बीच स्थानीय मीडिया में कई खबरें आ रही हैं। इसमें लिखा जा रहा कि ट्रेड यूनियन नेताओं(trade union leaders) के पास सभी सुख-सुविधाएं हैं और उनके लिए किसी तरह की कोई कमी नहीं है। 1948 के बाद से उन्होंने इस देश में कभी किसी कमी का अनुभव नहीं किया।
श्रीलंका को इस संकट से निकालने पीएम विक्रमसिंघे ने कहा कि सरकार एक स्पेशल रिलीफ बजट प्रस्तावित करने की योजना बना रही है। यह बजट इस साल के लिए पहले से अप्रूव बजट की जगह लेगा। यानी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पहले आवंटित पैसा जन कल्याण पर खर्च होगा।
श्रीलंका की हालत यह है कि पेट्रोल और डीजल नहीं मिल पा रहा, इसे छोड़िए सरकार के पास 14 लाख कर्मचारियों को सैलरी देने तक का पैसा नहीं है।
श्रीलंका की मदद के लिए भारत आगे आया है। भारत ने अब तक भोजन, दवाओं आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को दूर करने के लिए श्रीलंका को 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद पहुंचाई है।
बता दें कि 4 मई को श्रीलंकाई सरकार ने बताया था कि उसका उपयोग करने योग्य विदेशी भंडार घटकर 50 मिलियन डॉलर से भी कम हो गया है। यानी खतरे की घंटी बज चुकी थी।
श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर अली सबरी (Ali Sabry) पहले ही कह चुके हैं कि देश में फ्यूल और दवाइयों की सप्लाई को सुचारू करने और आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने श्रीलंका को अगले 6 महीने में करीब 3 बिलियन डॉलर की जरूरत है।
श्रीलंका में जारी प्रदर्शन 9 मई को हिंसक हो गया था। सरकार विरोधी दंगाइयों ने श्रीलंकाई सरकार के वर्तमान और पूर्व मंत्रियों के 50 से अधिक घरों में आग लगा दी थी। इसमें राजपक्षे परिवार के कई सदस्य भी शामिल थे।
श्रीलंका ने कुल कर्ज का 47% दूसरे देशों से ले रखा है। सबसे अधिक 15% चीन से लिया हुआ है। राजपक्षे परिवार पर देश को लूटने का आरोप भी लगा है। विपक्ष का कहना है कि 2004 से 2014 तक के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 19 अरब अमेरिकी डॉलर का भ्रष्टाचार किया।
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