शुरुआती जांच-पड़ताल के बाद सनसनीखेज खुलासा, पुलिस फरार बंदियों से मुलाकातियों का खंगाल रही रिकॉर्ड
मुरादाबाद। मुरादाबाद जेल में बनी थी सिपाहियों की हत्या कर बंदियों के फरार होने की साजिश। पुलिस की शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है। पुलिस टीम जेल में बंद रहे हत्यारोपियों से मुलाकात करने वालों का पूरा रिकार्ड खंगाल रही है। माना जा रहा है कि पुलिस टीम जल्द ही हत्याकांड की साजिश रचने वालों को पकड़कर मामले का पर्दाफाश करेगी।
इंजीनियर मोहम्मद इकराम की हत्या के मामले में शकील, कमल, धर्मपाल, राजेंद्र व नूर अहमद अक्टूर 2014 से मुरादाबाद जेल में बंद हैं। नूर अहमद की पत्नी की जमानत हो चुकी है। चर्चित हत्याकांड में 20 जुलाई को कोर्ट निर्णय सुनाने वाला था। सूत्रों के मुताबिक हत्याकांड में सजा से बचने व गवाहों को पक्ष में गवाही देने के लिए ही तीनों हत्यारोपी जेल से फरार हुए।
बिजनौर से लेकर मुरादाबाद तक मातम
बिजनौर में बंदियों की गोली से शहीद हुए दोनों सिपाही ब्रजपाल व हरेन्द्र मूल रूप से बिजनौर के रहने वाले हैं। उनकी मौत की सूचना मिलते ही उनके गांवों में मातम छाया हुआ है। शहीद सिपाही हरेन्द्र पुत्र शिव चरण कोतवाली थाना देहात के गांव चंदपुरा का निवासी था। वह अपने परिवार पत्नी और तीन बच्चों के साथ मुरादाबाद में आशियाना कालोनी में रहता था। परिजनों में कोहराम मच है। शहीद सिपाही नागल सोती थाना क्षेत्र के अलीपुर द्वारका उर्फ तिसौतरा निवासी ब्रजपाल है। ब्रजपाल के पिता पुलिस में थे। पिता का निधन होने पर ब्रजपाल की मृतक आश्रित में नियक्ति हुई थी।करीब 20 साल पहले ब्रजपाल व उसके दो भाई मुरादाबाद में बस गए थे।
आगरा में दो साल में दस बंदी हो चुके हैं फरार
आगरा। आगरा में पुलिस अभिरक्षा से पिछले दो साल में दस बंदी फरार हुए हैं। 2014 में दीवानी हवालात में तीन लोगों की संदिग्ध मौत हुई थी। विसरा जांच में उन्हें जहर देने की पुष्टि हुई। तीनों पेशी पर आए थे। 2001 में पेशी से लौटते समय पुलिस वैन पर हमला हुआ था। दो लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया। 2006 में सेंट्रल जेल में बंद डॉन चंद्रसेन पेशी में ही फिरौती वसूलता था। हाल ही में चार जुलाई को गैंगरेप का आरोपी अलसम दीवानी कचहरी से जेल ले जाने के दौरान फरार हो गया था।
बड़ा सवाल:बंदियों के पास कहां से आई मिर्ची व तमंचे मुरादाबाद से पेशी पर चंदौसी गए कैदियों की फरारी की कहानी में कई सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है, आखिर बंदियों के पास मिर्ची और तमंचे कहां से आए। आशंका जताई जा रहा है, पेशी के बाद मिलाई के दौरान तय योजना के तहत उन्हें मिर्ची, तमंचे दिए गए। पुलिस ने उन्हें बिना जांचे वैन में बिठा लिया और चंदौसी से निकलने के तीन किमी बाद बदमाशों ने पुलिस पर हमला कर दिया। यह भी दावा किया जा रहा है कि कैदी ग्रिल टेढ़ा करके फरार हुए लेकिन इस पर भी जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं।
सिपाहियों पर बंदियों ने कई फायर झोंके, राइफल छीनी चंदौसी कोर्ट में पेशी के बाद मुरादाबाद लौट रही पुलिस वैन में मौजूद सिपाहियों की आंखों में मिर्ची झोंकने के बाद बंदी शकील, कमल और धर्मपाल ग्रिल टेढ़ी करके भागने की कोशिश करने लगे। सिपाहियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कईफायर कर सिपाहियों की राइफल छीन ली। फायरिंग की आवाज सुन चालक ने वैन रोकी और आगे बैठे एक दरोगा व एक सिपाही उतरकर पीछे की तरफ भागे। इस बीच तीनों कैदियों ने वैन का दरवाजा लात मारकर तोड़ दिया औरफायरिंग करते हुए भाग गये। दो सिपाहियों की हत्या कर तीन बदमाशों के फरार हो जाने की खबर से पुलिस में हड़कम्प मच गया। जनपद के सभी थानों की पुलिस को सतर्क कर मुख्य मार्गो पर चैकिंग में जुटा दिया गया जबकि पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने क्राइम ब्रांच टीम के साथ मौके पर पहुंचकर बदमाशों की तलाश में कांबिंग शुरु करा दी। रामपुर,मुरादाबाद,बदायूं व अमरोहा की पुलिस को भी एलर्ट कर दिया गया है।
मारे गए सिपाहियों के परिवार को 50-50 लाख की मदद लखनऊ।उत्तर प्रदेश सरकार ने तीनों कैदियों की धरपकड़ के लिए पुलिस और एसटीएफ को मिलकर कांबिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रदेश सरकार ने शहीद हुए सिपाहियों के परिवार वालों को 50-50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी और असाधारण पेंशन दिए जाने की घोषणा की है। एसपी सम्भल को इस घोषणा के क्रियान्वयन के निर्देश दिए गए हैं।
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