सामान्य तौर पर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि प्रतिनियुक्ति पर आने वाला आईपीएस अधिकारी एक वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले ही अपने मूल कैडर में लौट जाए। सूत्रों का कहना है कि इस तरह का आदेश दो ही परिस्थितियों में देखने को मिलता है। पहला, राज्य सरकार द्वारा किन्हीं विशेष कारणों के चलते आईपीएस अधिकारी को प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जाए।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 2 अप्रैल को जारी एक आदेश आईपीएस अधिकारियों और सीआरपीएफ में चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश कैडर के 1994 बैच के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी बिनोद कुमार सिंह पिछले साल जून में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआरपीएफ में बतौर एडीजी बनकर आए थे। उन्हें बल के उत्तर पूर्व जोन में स्पेशल डीजी का कार्यभार सौंपा गया था। अब उन्हें वापस उनके मूल कैडर में भेज दिया गया है।
सामान्य तौर पर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि प्रतिनियुक्ति पर आने वाला आईपीएस अधिकारी एक वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले ही अपने मूल कैडर में लौट जाए। सूत्रों का कहना है कि इस तरह का आदेश दो ही परिस्थितियों में देखने को मिलता है। पहला, राज्य सरकार द्वारा किन्हीं विशेष कारणों के चलते आईपीएस अधिकारी को प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जाए।
इसमें यह भी संभव होता है कि उस अधिकारी को राज्य में बड़ा और अहम पद सौंपा जाना हो। उनके अनुभव विशेष का इस्तेमाल होना हो। दूसरा, किसी आईपीएस के खिलाफ कोई बड़ी शिकायत रही हो। कोई वित्तीय अनियमितत्ताएं रही हों या छेड़छाड़ जैसा गंभीर आरोप लगा हो। संबंधित अधिकारी को किसी कारण के चलते छुट्टी पर भेजा गया हो जैसी बातें भी देखी जाती हैं।
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