वृंदावन प्रवास के दौरान रविवार को रमणरेती मार्ग स्थित हांडाकुटी में पत्रकारों से वार्ता कर रहे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आसाराम और रामरहीम गृहस्थ थे, संत नहीं। आसाराम और रामरहीम को पैदा करने वाले लोग हमारे बीच के हैं, जो चमत्कार को देखकर किसी को संत मान लेते हैं। यह लोग संतों की मान मर्यादा को धूमिल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आसाराम के कर्मों की सजा तो बहुत पहले मिल जानी चाहिए थी। महिला या बच्ची के साथ दुष्कर्म करना महापाप है। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा में रामायण, महाभारत और गीता का समावेश नहीं है। भारत के अध्यात्म को शिक्षा से अलग कर दिया है। यही कारण है कि आज दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रहीं हैं। यदि बच्चों को दुर्गा सप्तशती का ज्ञान शिक्षा के माध्यम से कराया जाता तो वे समझते कि कन्या क्या होती है।
उन्होंने कहा कि भारत जब से धर्म निरपेक्ष हुआ है उसका दुष्परिणाम हिंदू ही झेल रहा है। सारा का सारा अन्याय हिंदुओं के हिस्से आ रहा है। मंदिर अधिग्रहण के प्रश्न पर कहा कि कोई साधुओं को बेईमान बता रहा है तो ब्राह्मणों को। मंदिरों का अधिग्रहण से धर्म का नाश होगा, सांसारिक व्यक्ति कभी भी मंदिरों का संचालन कर ही नहीं सकता। सरकार ईसाईयों के चर्च और मुसलमानों के मस्जिदों को अधिग्रहण करने का साहस क्यों नहीं करती।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या में अनेक मंदिर हैैं। आवश्यकता यह है कि जिस भूमि पर भगवान राम ने जन्म लिया उसी भूमि पर ही मंदिर का निर्माण हो। कहा कि आरएसएस और उससे जुड़े लोग बेवजह कहते हैं कि मंदिर का निर्माण हम कराएंगे, जबकि संविधान के अनुसार सरकार धर्मनिरपेक्ष होती है और सरकार न तो मंदिर, मस्जिद और न गुरुद्वारे का निर्माण नहीं करा सकती।
मंदिर का निर्माण तो राम के भक्त की कराएंगे। वृंदावन सहित ब्रज के कई नगरों को तीर्थ स्थल घोषित करने के योगी सरकार के कदम को शंकराचार्य ने सही ठहराते हुए कहा कि ब्रज तो पहले से ही तीर्थ स्थल है। काशीनाथ विश्वनाथ कोरीडोर पर उन्होंने कहा कि यह अनुचित है।
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