शत्रुजीत ब्रिगेड ने दिखाई स्ट्रांग एण्ड कैपेबल इंडिया की झलक, 75 पैराट्रूपर्स ने आसमान में मनाया आजादी के 75वें साल का जश्न

विशेष संवाददाता
आगरा।   स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना की शत्रुजीत ब्रिगेड के जांबाज जवानों ने आसमान में सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया ।
शुक्रवार को बीओसी ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में शत्रुजीत ब्रिगेड के 75 पैराट्रूपर्स ने नौ हजार फिट की ऊंचाई से 40 किलोग्राम वजन के हथियार एवं उपकरणों समेत हवा में छलांग लगाई । जवानों ने जमीन पर उतर कर दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की क्षमता का लाईव डेमो दिखाया ।


लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी जीओसी-इन-सी सेंट्रल कमांड, एयर मार्शल आरजे डकवर्थ एओसी-इन-सी सेंट्रल एयर कमांड और आगरा के विभिन्न गणमान्य नागरिकों ने मजबूत और सक्षम भारतीय सेना के दमदार प्रदर्शन पर खूब तालियांं बजायीं ।
सैन्य समारोह की शुरूआत राष्ट्रगान से हुई । तिरंगे एवं अतिविशिष्ट सेवा मैडल प्राप्त सैन्य अधिकारियों पर पैराग्लाईडर्स से पुष्पवर्षा की गयी । सेना के दो विमानों से 75 पैराट्रूपर्स ने कॉम्बैट फ्री-फॉल किया । तिरंगे और सैन्य झण्डों के साथ उतरते पैराशूटों से आसमान में विहंगम दृश्य उत्पन्न हो गया । ब्रिगेड के 75 कुशल पैराट्रूपर्स ने निहत्थे लड़ाकू कला का प्रदर्शन कर स्ट्रॉंग एण्ड कैपेबल इंडिया की थीम को साकार कर दिखाया ।  इस दौरान युद्ध के समय भारतीय वायु सेना द्वारा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का नियोजित हवाई संचालन प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम के अन्त में लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने सर्वोच्च बलिदान देने वाले शत्रुजीत ब्रिगेड के शहीद जाबांज सैनिकों को शत्रुजीत युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी ।
कार्यक्रम स्थल पर हवाई उपकरण और हथियारों की एक प्रदर्शिनी आयोजित की गई । शत्रुजीत ब्रिगेड ने बीएमपी, आर्टिलरी गन्स, व्हीकल माउंटेड एंटी टैंक मिसाइलों और वायु रक्षा मिसाइलों के लाइव प्रदर्शन द्वारा अपनी तीव्र प्रतिक्रिया क्षमता को भी प्रदर्शित किया। शहर के चयनित स्कूली बच्चों ने भी सैन्य हथियारों को करीब से देखा और जवानों से बातें की ।

शत्रुजीत ब्रिगेड : हर दुश्मन पर चाहिये जीत
आगरा।  सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना की शत्रुजीत ब्रिगेड की उत्पत्ति शत्रुजीत नामक एक पौराणिक चरित्र को आधार मानकर हुई है, जो किसी भी दुश्मन पर जीत हासिल सकता है । इस योद्धा की संरचना घोड़े से जुड़े व्यक्ति की तरह दिखती है जो युद्ध में उसकी शक्ति और चपलता का प्रतीक है। यह इस ब्रिगेड का झण्डा निशान है । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1941 में ब्रिगेड की स्थापना की गई थी। अपनी स्थापना के बाद से, ब्रिगेड ने 1947-48 और 1971 में भारत-पाक युद्धों जैसे कई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। गोवा एनेक्सेशन 1961 आॅपरेशन कैक्टस और कारगिल युद्ध में भी शत्रुजीत ब्रिगेड के जवानों ने युद्धक्षेत्र में उतरकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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