महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्ते टूटने के बाद से दोनों ही एक-दूसरे पर हमलावर हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए एक बार फिर बीजेपी पर प्रहार किया गया है. सामना के संपादकीय लेख में बीजेपी को ‘105 की पार्टी’, ‘पागल’ और ‘राष्ट्रपति शासन लगाकर विधायकों के खरीद-फिरोख्त करने की कोशिश’ का आरोप लगाया गया है. सामना में लिखा है कि जब से खबर सामने आई है कि शिवसेना की सरकार बनने वाली है, तब से कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया है.
‘राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार’
‘105 चिल्लाहट… और पागलों का घोड़ाबाजार’ की शीर्षक वाले संपादकीय में लिखा है, ”बीजेपी अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगा रही है, और यह हरकत खुद उनकी मानसिक स्थिति के लिए खतरनाक है.” पहले राज्यपाल के सामने 105 सीटों वाले सरकार बनाने में असमर्थ थे, राज्यपाल से मिलकर साफ कह चुके हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है, इसलिए सरकार नहीं बना सकते हैं. लेकिन अचानक राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सरकार बनाने का दावा कैसे कर रहे हैं? ‘अब सिर्फ हमारी सरकार है’ ये किस मुंह से कह रहे हैं? जो बहुमत उनके पास पहले नहीं था, वो बहुमत राष्ट्रपति शासन के सिलबट्टे से वैसे बाहर निकलेगा? राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार लगाने का मंसूबा अब साफ हो गया है.
“6 महीने नहीं टिकेगी सरकार ऐसे श्राप भी दिए जा रहे हैं”
बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए अब शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम करीब-करीब तय हो चुका है. इसके बावजूद बीजेपी की तरफ से सरकार बनाने को लेकर लगातार बयान आ रहे हैं. इसी का जवाब देते हुए सामना में लिखा गया है कि कुछ लोग सरकार ना चलने देने का श्राप दे रहे हैं. “कौन सरकार बनाता है देखता हूं, इस तरह की भाषा बोले जा रहे हैं, श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो कितने दिन टिकेगी. भविष्य भी बताया जा रहा है कि 6 महीने से ज्यादा सरकार नहीं टिकेगी. ये नया धंधा लाभदायक भले हो, लेकिन ये अंधश्रद्धा कानून का उल्लंघन है.”
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि शिवसेना 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर अपना कब्जा किया था. शिवसेना और बीजेपी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन सरकार बनाने को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी. शिवसेना ने सीएम पद को लेकर 50:50 का मुद्दा उठाया था, जिसे बीजेपी मानने को तैयार नहीं हुई, जिसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया. इन सबके बीच राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया, लेकिन कोई भी पार्टी बहुमत नहीं जुटा सकी. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है.
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